रतलाम

Sawan Somwar बिलपांक में परमार काल का विरुपाक्ष महादेव मंदिर, जानिए यहां के शिवलिंग की खासियत

मंदिर शिलालेख पर दर्ज है संवत् 1196

रतलामJul 26, 2021 / 12:30 pm

deepak deewan

Ratlam Virupaksha Mahadev Mandir Virupaksha Mahadev Mandir Ratlam

रतलाम. विरुपाक्ष महादेव जन-जन की आस्था का केंद्र है। श्रावण मास और शिवरात्रि पर बाबा के दरबार में सैकड़ों श्रद्धालु हर दिन दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। महू-नीमच फोरलेन पर रतलाम से करीब 30 किमी दूर बिलपांक ग्राम है। मुख्य सड़क से पूर्व की ओर करीब 2 किमी अंदर विरुपाक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर गुर्जर चालुक्य शैली (परमार कला के समकालीन) का मनमोहक उदाहरण है। वहां के स्तम्भ व शिल्प सौंदर्य इस काल के चरमोत्कर्ष को दर्शाते हैं। वर्तमान मंदिर से गुजरात के चालुक्य नरेश सिद्धराज जयसिंह संवत् 1196 का शिलालेख प्राप्त हुआ है। इससे ज्ञात होता है कि महाराजा सिद्धराज जयसिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
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प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल
मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है, मंदिर प्रवेश के समय सभा मंडप में दाहिने भाग पर शुंग-कुषाणकालीन एक स्तम्भ, जो यह दर्शाता है कि इस काल में भी यहां मंदिर रहा होगा। इस मंदिर में शिल्पकला के रूप में चामुण्डा, हरिहर, विष्णु, शिव, गणपति पार्वती आदि की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल तथा अन्य अलंकरण हैं। गर्भगृह के मध्य शिवलिंग है तथा एक तोरणद्वार भी लगा हुआ है जो गुर्जर चालुक्य शैली का है।
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ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि ब्रह्मा-विष्णु द्वारा शिव की आराधना करने पर वे निंरकार, निरंजन स्तब्ध रूप में प्रकट हुए और शिवलिंग के रूप में स्थापित हुए। यह एक प्रकार का ज्योर्तिंलिंग हुआ, जो सर्वस्व पूजे जाते हैं। शिवलिंग तो कई प्रकार के हुए है उनमें से प्रमुख स्फटिक शिवलिंग, स्वयंभू लिंग, बिंदुलिंग, प्रतिष्ठत शिवलिंग, चर शिवलिंग, गुरुलिंग, नादलिंग, पौरुषलिंग, प्राकृत लिंग, रसलिंग, बाणलिंग, स्वर्णलिंग, शिलालिंग आदि प्रकार के होते हैं।

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