Sawan Somwar 2021 महाकाल का भांग से श्रृंगार, सावन के पहले सोमवार ऐसे हुई विशेष भस्म आरती प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल
मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है, मंदिर प्रवेश के समय सभा मंडप में दाहिने भाग पर शुंग-कुषाणकालीन एक स्तम्भ, जो यह दर्शाता है कि इस काल में भी यहां मंदिर रहा होगा। इस मंदिर में शिल्पकला के रूप में चामुण्डा, हरिहर, विष्णु, शिव, गणपति पार्वती आदि की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल तथा अन्य अलंकरण हैं। गर्भगृह के मध्य शिवलिंग है तथा एक तोरणद्वार भी लगा हुआ है जो गुर्जर चालुक्य शैली का है।
मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है, मंदिर प्रवेश के समय सभा मंडप में दाहिने भाग पर शुंग-कुषाणकालीन एक स्तम्भ, जो यह दर्शाता है कि इस काल में भी यहां मंदिर रहा होगा। इस मंदिर में शिल्पकला के रूप में चामुण्डा, हरिहर, विष्णु, शिव, गणपति पार्वती आदि की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल तथा अन्य अलंकरण हैं। गर्भगृह के मध्य शिवलिंग है तथा एक तोरणद्वार भी लगा हुआ है जो गुर्जर चालुक्य शैली का है।
Sawan 2021 महाकाल मंदिर के पट खुलने का समय बदला, दर्शन के लिए करना होगा यह काम ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि ब्रह्मा-विष्णु द्वारा शिव की आराधना करने पर वे निंरकार, निरंजन स्तब्ध रूप में प्रकट हुए और शिवलिंग के रूप में स्थापित हुए। यह एक प्रकार का ज्योर्तिंलिंग हुआ, जो सर्वस्व पूजे जाते हैं। शिवलिंग तो कई प्रकार के हुए है उनमें से प्रमुख स्फटिक शिवलिंग, स्वयंभू लिंग, बिंदुलिंग, प्रतिष्ठत शिवलिंग, चर शिवलिंग, गुरुलिंग, नादलिंग, पौरुषलिंग, प्राकृत लिंग, रसलिंग, बाणलिंग, स्वर्णलिंग, शिलालिंग आदि प्रकार के होते हैं।