VIDEO ट्रेन पर जमकर पथराव, ट्रेन अंधेरे में रखकर ले गया चालक महाराजा रतनसिंह और उनके पुत्र रामसिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में अपभ्रंशों के रूप में बदलते हुए क्रमश: रतराम और फिर रतलाम के रूप में जाना जाने लगा। महाराजा रतनसिंह और उनके पुत्र रामसिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में अपभ्रंशों के रूप में बदलते हुए क्रमश: रतराम और फिर रतलाम के रूप में जाना जाने लगा। अब इस शहर की पहचान ट्रीपल एस याने की सेव, सोना व साड़ी के लिए देश व दुनिया में है। रतलाम स्थापना दिवस पर गुरुवार को अनेक आयोजन हो रहे है। आयोजन एक दिन पूर्व की संध्या से शुरू हो गए है।
चंद्रग्रहण 2020 : भूलकर मत करना यह 5 काम, यह 2 तो बिल्कुल मत करना मुगल बादशाह ने दी थी जागीर मुग़ल बादशाह शाहजहां ने रतलाम जागीर को रतन सिह को एक हाथी के खेल में, उनकी बहादुरी के उपलक्ष में प्रदान की थी। उसके बाद, जब शहजादा शुजा और औरंगजेब के मध्य उत्तराधिकारी की जों जंग शरू हुई थी, उसमे रतलाम के राजा रतन सिंह ने बादशाह शाहजहां का साथ दिया था। औरंगजेब के सत्ता पर असिन होने के बाद, जब अपने सभी विरोधियो को जागीर और सत्ता से बेदखल किया, उस समय, रतलाम के राजा रतन सिंह को भी हटा दिया था और उन्हें अपना अंतिम समय मंदसौर जिले के सीतामऊ में बिताना पड़ा था और उनकी मृत्यु भी सीतामऊ में भी हुई, जहां पर आज भी उनकी समाधी की छतरिया बनी हुई हैं। रतलाम स्थापना दिवस पर गुरुवार को अनेक आयोजन हो रहे है। आयोजन एक दिन पूर्व की संध्या से शुरू हो गए है।
रतलाम में फ्लैट के बाथरुम में मिले दो शव, पुलिस मौके पर बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया
औरंगजेब द्वारा बाद में, रतलाम के एक सय्यद परिवार, जों की शाहजहां द्वारा रतलाम के क़ाज़ी और सरवनी जागीर के जागीरदार नियुक्त किये गए थे, द्वारा मध्यस्ता करने के बाद, रतन सिंह के बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया गया। इसके आलावा रतलाम जिले का ग्राम सिमलावदा अपने ग्रामीण विकास के लिये पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यहां के ग्रामीणों द्वारा जनभागीदारी से गांव में ही कई विकास कार्य किये गए है। रतलाम से 30 किलोमीटर दूर बदनावर इंदौर रोड पर सिमलावदा से 4 किलोमीटर दूर कवंलका माताजी का अति प्राचीन पांडवकालीन पहाड़ी पर स्थित मन्दिर है। यहां पर दूर दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और खासकर सन्तान प्राप्ति के लिए यहां पर मान लेते है। रतलाम स्थापना दिवस पर गुरुवार को अनेक आयोजन हो रहे है। आयोजन एक दिन पूर्व की संध्या से शुरू हो गए है।
औरंगजेब द्वारा बाद में, रतलाम के एक सय्यद परिवार, जों की शाहजहां द्वारा रतलाम के क़ाज़ी और सरवनी जागीर के जागीरदार नियुक्त किये गए थे, द्वारा मध्यस्ता करने के बाद, रतन सिंह के बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया गया। इसके आलावा रतलाम जिले का ग्राम सिमलावदा अपने ग्रामीण विकास के लिये पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यहां के ग्रामीणों द्वारा जनभागीदारी से गांव में ही कई विकास कार्य किये गए है। रतलाम से 30 किलोमीटर दूर बदनावर इंदौर रोड पर सिमलावदा से 4 किलोमीटर दूर कवंलका माताजी का अति प्राचीन पांडवकालीन पहाड़ी पर स्थित मन्दिर है। यहां पर दूर दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और खासकर सन्तान प्राप्ति के लिए यहां पर मान लेते है। रतलाम स्थापना दिवस पर गुरुवार को अनेक आयोजन हो रहे है। आयोजन एक दिन पूर्व की संध्या से शुरू हो गए है।