दोपहर में कार्यकर्ता कलेक्टर कार्यालसय पहुंचे। यहां पर नारेबाजी की गई। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया। इसमे इस बात का उल्लेख है कि अनुसूचित जाती व जनजाती, पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों को लगातार निशाने पर लेकर प्रताडि़त किया जा रहा है। पक्षपात पूर्ण कार्रवाई इस वर्ग के खिलाफ की जा रही है। एक तरफ संविधान कहता है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी है, दूसरी तरफ करणी सेना के दबाव में आकर सोशल मीडिया में पोस्ट करने वाले पटवारी सुखदेवसिंह को निलंबीत कर दिया गया। जबकि पटवारी को तुरंत बहाल करना चाहिए।
प्रदेश में होगा अंादोलन ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि ११ दिसंबर को अनुविभागीय अधिकारी सितामऊ जिला मंदसौर में सोशल मीडिया पर पटवारी सुखदेवसिंह ने पोस्ट की तो निंलबीत कर दिया। इसीप्रकार मंजू शांतिलाल रोजगार सहायक ग्राम पंचायत चापाखेड़ी सुआंसरा को भी निंलबीत किया गया। जबकि आरक्षण अनुसूचित जाती व जनजाती के लिए संविधान में दिया गया अधिकार है। एेसे में अगर अभिव्यक्ति की संविधान में मिली आजादी का लाभ उठाकर अगर कोई आरक्षण के समर्थन में पोस्ट करता है तो ये गलत किस तरह से हो गया।
करणी सेना के दबाव जबकि जब ये पोस्ट की गई तो करणी सेना के दबाव में आकर निंलबन किया जाना कहां तक ठीक हैं। एेसे में इन कर्मचारियों को तुरंत बहाल करना चाहिए। मेडिकल कॉलेज का नाम डॉ. अंबेडकर के नाम पर हो। इसके अलावा अब अगर किसी कर्मचारी को विश्ेाषकर समाज को प्रताडि़त किया गया तो प्रदेश में आंदोलन होगा।
ये थे ज्ञापन के वक्त प्रमुख रुप से उपस्थित इस अवसर पर प्रदेश महासचिव गोविंदराम मईड़ा, जिला प्रभारी चंद्रप्रकाश डामेचा, जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र डामेचा, जिला उपाध्यक्ष फकीरचंद जाजोरिया, ग्रामीण जिलाध्यक्ष राधेश्याम निनामा, राकेश सिसौदिया, ब्लॉक अध्यक्ष राहुल भूरिया, पुष्पेंद्र सूर्यवंशी, कांतिलाल बोस, शैतानसिंह मूनिया, राजेश कटारिया, श्याम परमार, पारस सूर्यवंशी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।