सीधे इंदौर पहुंचकर ही दम लिया। पुलिस को कई बार चकमा दिया, एक बार पकड़ में आया तो तीन माह के लिए जेल में डाल दिया, लेकिन बाहर आते ही आजादी आंदोलन में फिर कूद गया। रतलाम निवासी स्वतंत्रता सेनानी राजमल चौरडि़या अब 104 वर्ष के हो गए हैं, लेकिन आजादी की गाथा सुनाते समय उनमें वही जोश नजर आया। बकौल चौरडिया उम्र साथ दे तो देश के लिए बहुत कुछ है करने को।
इंदौर में पकड़े गए
चौरडिय़ा ने बताया कि रतलाम से इंदौर जाने पर उनकी मुलाकात कुसुमकांत जैन से हुई, जो स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका में थे। पुलिस की आंख में धूल झोंकने वहां कुछ वर्ष बाद इंदौर के जेल रोड पर होटल संचालित की, जहां गुप्त रूप से आजादी आंदोलन की बैठकें भी की जाने लगी। एक बार पुलिस ने इंदौर में कई साथियों सहित पकड़ लिया। भागने के दौरा नीचे गिरे और सिर फट गया।
चौरडिय़ा ने बताया कि रतलाम से इंदौर जाने पर उनकी मुलाकात कुसुमकांत जैन से हुई, जो स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका में थे। पुलिस की आंख में धूल झोंकने वहां कुछ वर्ष बाद इंदौर के जेल रोड पर होटल संचालित की, जहां गुप्त रूप से आजादी आंदोलन की बैठकें भी की जाने लगी। एक बार पुलिस ने इंदौर में कई साथियों सहित पकड़ लिया। भागने के दौरा नीचे गिरे और सिर फट गया।
पहले जश्न का हिस्सा पुलिस तक नहीं पहुंचे, इसलिए खून बहने दिया और बाद में मरहम पट्टी करवाई और फरार हो गए। इसके कुछ दिन बाद पकड़ में आए तो तीन माह तक जेल में रहे। इसके बाद लगातार आंदोलनों में भाग लिया। वर्ष 1947 में आजादी पर रतलाम में हुए पहले जश्न का हिस्सा रहे। , चौरडिया के अनुसार अब देश के हालात देख मन दुखता है, भ्रष्टाचार से दुखी हैं। रेल मंत्रालय आगामी 13 अगस्त को नई दिल्ली में इनका सम्मान करेगा।