यह है पूरा मामला बाजना विकासखंड के गांव खोरा में गत 20 अक्टूबर को एक महिला की उल्टी-दस्त से मौत के बाद 25 अक्टूबर को 20 साल के युवक की मौत हुई थी। दूसरी मौत के बाद स्वास्थ्य अमला जागा था। बदनामी के डर से स्वास्थ्य अमले ने इसे दबाए रखा था। दो संदिग्धों के स्टूल सेंपल में 11 साल की एक मासूम का सेंपल पाजीटिव आने से स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है।
पानी की रिपोर्ट का अभी खुलासा नहीं गांव खोरा के कुएं और हैंडपंप के पानी के सेंपल जांच के लिए भेजे थे। इन दोनों ही स्रोतों के पानी का ही उपयोग पूरे गांव के लोग करते रहे हैं। ये सेंपल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी को भेजने की बजाय मेडिकल कॉलेज भेजे गए थे। इसके पीछे दो वजह है। पहली विभाग का ही हैंडपंप है। दूसरा पीएचई गहनता से पानी की जांच नहीं कर पाता जितनी मेडिकल कॉलेज में होती।
फ्लैश बैक : आठ साल बाद फिर से आया हैजा जिले में आठ साल बाद एक बार फिर से कॉलेरा बीमारी ने दस्तक दी है। आठ साल पहले 2 जुलाई 2015 को बाजना विकासखंड के ही कागली खोरा गांव में हैजा बीमारी फैली थी। इसमें न केवल इस गांव वरन आसपास के गांव के दो हजार से ज्यादा महिला-पुरुष और बच्चे चपेट में आ गए थे। सूचना पर स्वास्थ्य अमले के साथ सीएमएचओ डॉ. शर्मा गांव पहुंचे थे और हर एक मरीज को उन्होंने हाथ-पैर जहां नसें मिली वहां से सलाइन चढ़ाई थी। यही नहीं सलाइन को ऐसे दबा-दबाकर चढ़ाया था जैसे उनके शरीर में इन्हें निचोड़ा गया हो। इससे कई मरीजों की जान बच गई थी। 17 जुलाई 2015 तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव में घुमकर मरीजों का इलाज करती रही। स्थिति सामान्य होने पर लौटी थी। उस समय सात-आठ मरीजों के स्टूल टेस्ट इंदौर जांच के लिए भेजे थे जिनमें से ज्यादातर में हैजा पॉजिटिव मिला था। इसके बाद यह पहला मौका है जब बाजना विकासखंड के ही खोरा गांव में 11 साल की मासूम को हैजा पॉजिटिव मिला है।
माइल्ड पॉजिटिव मिला बच्ची में खोरा गांव के जो स्टूल सेंपल भेजे थे उनमें से बच्ची को हैजा मिला है। उसमें हैजा के माइल्ड लक्षण मिले हैं। बच्ची अभी पूरी तरह स्वस्थ है। पानी की रिपोर्ट आनी शेष है।
डॉ. गौरव बोरीवाल, महामारी नियंत्रक अधिकारी