लखमा आदि रोग होते दूर यहां स्नान करने से
सोमेश सांकला ने बताया कि रतलाम जिले में शहर से 30 किमी दूर आम्बा से ३ किमी दूर पुनियाखेड़ी में 200 वर्ष प्राचीन नवदुर्गा का मंदिर है। खास बात यह है की यहां हर साल दोनों नवरात्र में भक्तों का ताता रहता है। गांव के ही यसवंत मईड़ा का कहना है की माँ के दरबार में जो भी भक्त आता है, कभी खाली नहीं जाता कष्टों के निवारण के साथ ही जिन लोगों को लखमा हो जाता विशेष तोर पर नवरात्र में भक्त वहां रहकर सुबह शाम परिक्रमा कर अपने दुखों का निवारण होता है।
सोमेश सांकला ने बताया कि रतलाम जिले में शहर से 30 किमी दूर आम्बा से ३ किमी दूर पुनियाखेड़ी में 200 वर्ष प्राचीन नवदुर्गा का मंदिर है। खास बात यह है की यहां हर साल दोनों नवरात्र में भक्तों का ताता रहता है। गांव के ही यसवंत मईड़ा का कहना है की माँ के दरबार में जो भी भक्त आता है, कभी खाली नहीं जाता कष्टों के निवारण के साथ ही जिन लोगों को लखमा हो जाता विशेष तोर पर नवरात्र में भक्त वहां रहकर सुबह शाम परिक्रमा कर अपने दुखों का निवारण होता है।
यहां है कल्पवृक्ष का पेड़ भी
यहां की मान्यता है की बावड़ी के पानी से स्नान करने से सारे दु:ख दूर हो जाते है, यहां कल्पवृक्ष का पेड़ भी है, ऐसी मान्यता है की इस पेड़ में ऐसी आकृति चित्र है जो मन की कल्पना पूरी करते है। पेड़ की परिक्रमा लेने से सारे दु:ख दूर हो जाते है। मनोकामना पूरी होती है। कैलाशचंद्र बैरागी कुशलगढ़ बांसवाडा ने बताया की हर नवरात्र में आते है। वे यहां 10 सालों से आ रहे हैं। बाजना के गौतम ने बताया की दोनों पति पत्नी 20 सालों से आ रहे हैं। अष्टमी और नवमी की रात मंदिर में ही रुककर माता की आस्था में लीन होते है।
यहां की मान्यता है की बावड़ी के पानी से स्नान करने से सारे दु:ख दूर हो जाते है, यहां कल्पवृक्ष का पेड़ भी है, ऐसी मान्यता है की इस पेड़ में ऐसी आकृति चित्र है जो मन की कल्पना पूरी करते है। पेड़ की परिक्रमा लेने से सारे दु:ख दूर हो जाते है। मनोकामना पूरी होती है। कैलाशचंद्र बैरागी कुशलगढ़ बांसवाडा ने बताया की हर नवरात्र में आते है। वे यहां 10 सालों से आ रहे हैं। बाजना के गौतम ने बताया की दोनों पति पत्नी 20 सालों से आ रहे हैं। अष्टमी और नवमी की रात मंदिर में ही रुककर माता की आस्था में लीन होते है।