रतलाम

आज निर्जला एकादशी 2019: पांडु पुत्र भीम ने भी किया था ये व्रत

पूरी विधि से पूजा करने से संसार का हर सुख मिलता है व अंत में मनुष्य मोक्ष के द्वार पहुंचता है। महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने भी ये व्रत किया था।

रतलामJun 13, 2019 / 10:11 am

Ashish Pathak

Nirjala Ekadashi 2019

रतलाम। एक वर्ष में कुल 24 एकादशी आती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल नक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। भारतीय पुराण अनुसार भगवान विष्णु की इस दिन आराधना होती है। पूरी विधि से पूजा करने से संसार का हर सुख मिलता है व अंत में मनुष्य मोक्ष के द्वार पहुंचता है। महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने भी ये व्रत किया था। ये बात रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कही। वे इंद्रा नगर में भक्तों को निर्जला एकादशी के महत्व के बारे में बता रहे थे।
ज्योतिषी रावल के अनुसार इस व्रत में भोजन के साथ पानी का भी त्याग करना पड़ता है। इस व्रत को निर्जला यानि की बिना पानी के रखना होता है। इस व्रत वाले दिन पानी का सेवन भी नहीं किया जाता है, इसलिए इसको निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस वजह से इस व्रत को सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत में अगले दिन यानि की द्वादशी के दिन सूर्योदय होने के बाद ही आप पानी ग्रहण कर सकते हैं।
अन्य को पानी पिलाने का महत्व

शास्त्रों के अनुसार अगर व्रत रखने वाले इस दिन लोगों और दूसरे जीव को पानी पिलाते हैं तो आपको पूरे व्रत का फल मिल ही जाता है। इस व्रत को घर की सुख-शांति के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस व्रत की सबसे बात यह है कि साल भर में आने वाले सभी एकादशियों का फल केवल इस व्रत को रखने से मिल जाता है। इस व्रत को महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था, इसी वजह से इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है।
व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार निर्जला एकादशी के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 12 जून 2019 बुधवार से होगी। जो सुबह 6 बजकर 27 से शुरू होगा। तो वहीं इस एकादशी की तिथि समाप्ति 13 जून 4 बजकर 49 मिनट तक होगी। इसके साथ ही निर्जला एकादशी पारण का समय 14 जून को 2019 को सुबह 5 बजकर 27 बजे से लेकर 8 बजकर 13 बजे तक रहेगा।
ये है व्रत के दिन पूजा की विधि


निर्जला एकादशी व्रत करने वाले को सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु को पीला रंग पसंद है। उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। इस दौरान लगातार ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। शाम के समय तुलसी जी की पूजा करें। व्रत के अगले दिन सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और गरीब, जरूरतमंद को भोजन करवाएं।

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