नवरात्रि नौ दिन तक मनाए जाने वाला पर्व है। नवरात्रि जो देश के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक होने के नाते, यह पूरे देश में और यहां तक कि बाहर भी लोगों द्वारा मनाया जाता है। मध्यप्रदेश का रतलाम क्योंकि गुजरात सीमा पर है, इसलिए इसका यहां पर महत्व होने के दो कारण है। एक तो गुजरात सीमा पर होना, दूसरा रतलाम के संस्थापक राजा का माता की विशेष सेवा करना। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
ये है इसकी धार्मिक मान्यता धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इन नौ दिनों के दौरान माँ दुर्गा धरती पर ही रहती हैं। चैत्र महीने के नवरात्रि के पहले दिन ही मां दुर्गा का जन्म हुआ था इस कारण चैत्र की नवरात्रि मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार नवरात्रि का महत्व के बारे में एक बात यह भी निकलती है कि माँ दुर्गा ने इन नौ दिनों के दौरान दानव महिषासुर के साथ लड़ाई के बाद उसका वध किया था। इस त्योहार पर लोग उपवास रखते है और नौ देवियों की पूजा करते है, जबकि दसवें दिन विसर्जन किया जाता है। इसको विजय दशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
ये है नौ दिनों की मां की कथा पहले दिन मां शैलपुत्री प्रतापदा जो नवरात्रि का पहला दिन है इस दिन जब दुर्गा के पहले अवतार, शैलपुत्री की पूजा की जाती है जिसे पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। माँ के इस रूप का वाहन बैल है।
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा रूप है ब्रह्मचारिणी जिसकी पूजा दूसरे दिन की जाती है। इसमें ब्रह्म शब्द का अर्थ संस्कृत में तपस्या होता है। माँ के इस रूप में आपको अनेकों चित्र मिलेंगे जिसमें दाएं हाथ में जप की माला नजर आएगी।
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा नवरात्रि के इस पावन पर्व पर तीसरा दिन होता है माँ के चंद्रघंटा नाम। इस दिन इनकी पूजा की जाती है। बता दें कि इस रूप में माँ की दस भुजाएं है, साथ ही माथे पर आधा चंद्रमा भी है।
चौथे दिन मां कूष्माण्डा
कूष्माण्डा जो कि माँ दुर्गा का चौथा अवतार है और इनकी पूजा चौथे दिन की जाती है। अगर हम इनके रूप की बात करें तो इस स्वरूप को सृष्टि का जनक भी माना जाता है। साथ ही इसमें माँ की आठ भुजाएं है।
कूष्माण्डा जो कि माँ दुर्गा का चौथा अवतार है और इनकी पूजा चौथे दिन की जाती है। अगर हम इनके रूप की बात करें तो इस स्वरूप को सृष्टि का जनक भी माना जाता है। साथ ही इसमें माँ की आठ भुजाएं है।
पांचवे दिन मां स्कंदमाता
पौराणिक कथाओं के अनुसार अत्याचारी दानवों से रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर माँ दुर्गा ने ‘स्कंदमाता’ का रूप धारण किया था। यह इनका पांचवां रूप है। छठे दिन मां कात्यायिनी
इसी बीच माँ दुर्गा का छठा रूप कात्यायिनी है। इनका नाम इस कारण कात्यायिनी है क्योंकि इन्होंने कात्यान ऋषि के घर जन्म लिया था। कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से शत्रु का विनाश होता है और कुंवारी कन्याओं का विवाह होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार अत्याचारी दानवों से रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर माँ दुर्गा ने ‘स्कंदमाता’ का रूप धारण किया था। यह इनका पांचवां रूप है। छठे दिन मां कात्यायिनी
इसी बीच माँ दुर्गा का छठा रूप कात्यायिनी है। इनका नाम इस कारण कात्यायिनी है क्योंकि इन्होंने कात्यान ऋषि के घर जन्म लिया था। कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से शत्रु का विनाश होता है और कुंवारी कन्याओं का विवाह होता है।
सातवे दिन मां कालरात्रि
माता दुर्गा का सातवाँ विशाल रूप कालरात्रि है। बता दें कि इस रूप में इनका पूरा शरीर काले रंग का है तथा पूरे बाल बिखरे है। माँ दुर्गा का यह रूप।सबसे भयानक है।
माता दुर्गा का सातवाँ विशाल रूप कालरात्रि है। बता दें कि इस रूप में इनका पूरा शरीर काले रंग का है तथा पूरे बाल बिखरे है। माँ दुर्गा का यह रूप।सबसे भयानक है।
आठवे दिन मां महागौरी
वहीं अगर हम आठवें रूप की अगर बात करें तो माँ दुर्गा का आठवाँ रूप महागौरी है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि शंकर भगवान के लिए कठोर तप करने के कारण इनका शरीर काला हो गया था। जिसे शिव भगवान ने प्रसन्न होकर गंगा जल से धोया था। इस कारण इनका शरीर गौर वर्ण का हो गया था और इसी कारण इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलायें अपने पतियों के लिए लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है।
वहीं अगर हम आठवें रूप की अगर बात करें तो माँ दुर्गा का आठवाँ रूप महागौरी है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि शंकर भगवान के लिए कठोर तप करने के कारण इनका शरीर काला हो गया था। जिसे शिव भगवान ने प्रसन्न होकर गंगा जल से धोया था। इस कारण इनका शरीर गौर वर्ण का हो गया था और इसी कारण इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलायें अपने पतियों के लिए लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है।
नौवे दिन मां सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप सिद्धिदात्री का रूप है। कहा जाता है कि इन सभी सिद्धियों की प्राप्ति के कारण शंकर भगवान का आधा शरीर नारी का है।
माँ दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप सिद्धिदात्री का रूप है। कहा जाता है कि इन सभी सिद्धियों की प्राप्ति के कारण शंकर भगवान का आधा शरीर नारी का है।
ये है हमारे जीवन में नवरात्रि का महत्व मां दुर्गा के इन नौ अलग-अलग रूपों की पूजा आस्था के साथ ही श्रद्धा के साथ की जाती है। ये काफी शुभ माना जाता है। इसके अलावा अनेक भक्त लगातार नौ दिनों तक उपवास रखते है। इन दिनों मां के मंदिरों में सुबह से लेकर देर रात तक भारी भीड़ रहती है। रतलाम की बात करें तो यहां पर कालिका माता मंदिर के अलावा राजापुरा माताजी, कंवलका माताजी आदि प्रसिद्ध मंदिर है।