MUST READ : गया में ही क्यों होता है पिंडदान, यहां पढे़ं पूरी जानकारी ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि एक साल में 4 नवरात्र पड़ते हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक मान्यता चैत्र और शारदीय नवरात्र की है। चैत्र नवरात्र चैत्र महीने में जबकि शारदीय नवरात्र अश्विन मास में पड़ता है। इसके अलावा आषाढ़ और पौष माह में भी गुप्त नवरात्र पड़ते हैं। इन पूजा के दौरान कलश स्थापना व अखंड दीपक रखने से पूजा का महत्व बढ़ जाता है। कलश या दीपक गलत दिशा में रखने से घर में आर्र्थिक हानी होती है।
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When will Navratri 2019 start? : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि नवरात्रि का त्यौहार मध्यप्रदेश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में भक्त व्रत उपवास आदि रखकर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्र में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। साथ ही कई भक्त इन नौ दिन उपवास या फलाहार करते हैं। कन्या पूजन के बाद अनेक घर में कन्या भोजन के बाद व्रत या उपवास खोला जाता है।
When will Navratri 2019 start? : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि नवरात्रि का त्यौहार मध्यप्रदेश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में भक्त व्रत उपवास आदि रखकर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्र में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। साथ ही कई भक्त इन नौ दिन उपवास या फलाहार करते हैं। कन्या पूजन के बाद अनेक घर में कन्या भोजन के बाद व्रत या उपवास खोला जाता है।
MUST READ : दिवाली 2019 : मां लक्ष्मी की पूजा करते समय पहनें इस रंग के कपड़े, बरसेगा धन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त Auspicious Time For Establishment Of Urn ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि इस बार नवरात्रि पर कलश स्थापना की बात करें तो इसका शुभ मुहूर्त सुबह 6.16 बजे से 7.4 बजे (सुबह) के बीच है। इसके अलावा दोपहर में 11.48 बजे से 12.35 के बीच अभिजीत मुहूर्त भी है जिसके बीच आप कलश स्थापना कर सकते हैं। बता दें कि अश्विन की प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर को रात 11.56 से ही शुरू हो रही है और यह अगले दिन यानी 29 सितंबर को रात 8.14 बजे खत्म होगी।
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कलश स्थापना की विधि
Method Of Installing The Urn : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि इस दिन तड़के अपने घर के साथ पूजन कक्ष की साफ-सफाई करनी चाहिए। इसके बाद स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहने और फिर कलश स्थापना की तैयारी करें। सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी बनाकर लकड़ी के पाट पर मिट्टी डलकर जौ को बोया जाता है और फिर कलश की स्थापना की जाती है। कलश में गंगा जल रखें के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे।
कलश स्थापना की विधि
Method Of Installing The Urn : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि इस दिन तड़के अपने घर के साथ पूजन कक्ष की साफ-सफाई करनी चाहिए। इसके बाद स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहने और फिर कलश स्थापना की तैयारी करें। सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी बनाकर लकड़ी के पाट पर मिट्टी डलकर जौ को बोया जाता है और फिर कलश की स्थापना की जाती है। कलश में गंगा जल रखें के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे।
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This is the Material For Installing The Urn – शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश ।
– कलावा, अशोक या आम के 5 पत्ते, साबुत चावल,
– पानी वाला एक नारियल, पूजा सुपारी कलश में डालने के लिए एक सिक्का, कलश के लिए छोटी सी फूल की माला ।
This is the Material For Installing The Urn – शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश ।
– कलावा, अशोक या आम के 5 पत्ते, साबुत चावल,
– पानी वाला एक नारियल, पूजा सुपारी कलश में डालने के लिए एक सिक्का, कलश के लिए छोटी सी फूल की माला ।
अखण्ड दीपक स्थापना हेतू सामग्री
Material For Installation Of Akhand Deepak
– मिट्टी, पीतल या चांदी का बड़ा सा दीपक
– गाय का शुद्ध घी
– बत्ती के लिए रूई या लाल सूति कलावा MUST READ : Navratri 2019: पूजा विधि, कलश स्थापना समय, शुभ मुहूर्त, सामग्री, यहां पढ़ें पूरी खबर
Material For Installation Of Akhand Deepak
– मिट्टी, पीतल या चांदी का बड़ा सा दीपक
– गाय का शुद्ध घी
– बत्ती के लिए रूई या लाल सूति कलावा MUST READ : Navratri 2019: पूजा विधि, कलश स्थापना समय, शुभ मुहूर्त, सामग्री, यहां पढ़ें पूरी खबर
नवरात्र कलश स्थापना की विधि
Method Of Establishing Navratri Kalash : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि कलश स्थापना के लिए सबसे पहले घर के पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध करके एक चांदी या लकड़ी की चौकी या पटा पर लाल कपडा बिछाकर माता की मूर्ति या फोटों को स्थापित करें। इसके बाद चौकी की दाहिने तरफ चावल छोटी सी ढेरी लगाकर लकड़ी की चौकी पर कलश को स्थापित करें, कलश में गंगाजल मिला शुद्धजल, थोड़े से चावल, एक पूजा सुपारी और एक सिक्का डालकर 5 आम के पत्ते लगाकर नारियल को रख दें नीचे दिये मंत्र को उच्चारण करते हुए कलश का पूजन कर स्थापित करें ।
Method Of Establishing Navratri Kalash : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि कलश स्थापना के लिए सबसे पहले घर के पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध करके एक चांदी या लकड़ी की चौकी या पटा पर लाल कपडा बिछाकर माता की मूर्ति या फोटों को स्थापित करें। इसके बाद चौकी की दाहिने तरफ चावल छोटी सी ढेरी लगाकर लकड़ी की चौकी पर कलश को स्थापित करें, कलश में गंगाजल मिला शुद्धजल, थोड़े से चावल, एक पूजा सुपारी और एक सिक्का डालकर 5 आम के पत्ते लगाकर नारियल को रख दें नीचे दिये मंत्र को उच्चारण करते हुए कलश का पूजन कर स्थापित करें ।
MUST READ : शुक्र का राशि परिवर्तन, सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश कलश स्थापना का मंत्र Mantra Of Urn Installation कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: ।
मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता: ।।
कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा ।
ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामगानां अथर्वणा: ।।
अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता: ।।
मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता: ।।
कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा ।
ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामगानां अथर्वणा: ।।
अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता: ।।
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि मंत्र के अनुसार कलश के मुख में संसार को चलाने वाले श्री विष्णु, कलश के कंठ यानी गले में संसार को गतिमान करने वाले शिव और कलश के मूल स्थापित हैं। कलश के बीच वाले भाग में पूजनीय मातृकाएं स्थापित हैं। समुद्र, सातों द्वीप, वसुंधरा यानी धरती, ब्रह्माण्ड के संविधान कहे जाने वाले चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) इस कलश में स्थान लिए हैं। इन सभी को मेरा नमस्कार हैं।
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Mantra To Burn Akhand Deepak : दीपक या दीया वह पात्र है, जिसमें मिट्टी का दीपक, सूत की बाती और तेल या गाय का घी रख कर ज्योति जलाई जाती है। इसके लिए मंत्र जप करना चाहिए।
Mantra To Burn Akhand Deepak : दीपक या दीया वह पात्र है, जिसमें मिट्टी का दीपक, सूत की बाती और तेल या गाय का घी रख कर ज्योति जलाई जाती है। इसके लिए मंत्र जप करना चाहिए।
मंत्र दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन: ।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते ।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां ।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति। । ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि नवरात्र में दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखकर अखंड जलाने से आयु में वृद्धि होती है। दीपक की लौ दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है। दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते ।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां ।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति। । ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि नवरात्र में दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखकर अखंड जलाने से आयु में वृद्धि होती है। दीपक की लौ दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है। दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है।