MUST READ : सर्वपितृ अमावस्या 2019 : कुंडली में है पितृ दोष तो करें यह आसान उपाय रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने नवरात्रि २०१९ के पूर्व भक्तों को बताया कि शिव पार्वती के विवाह के बाद ब्रह्म देव के मैथुनी सृष्टि से जब राक्षस प्रजा जब बहुत बढ़ गई तब शुम्भ निशुम्भ असुर ने तपस्या कर ब्रह्म देव से वरदान प्राप्त किया के कोई भी पुरुष से वे दोनों नहीं मारे जा सकेंगे। उनका वध ऐसी कन्या द्वारा हो जो पार्वती के अंश से हो, अयोनिज हो, किसी भी पुरुष ने उन्हें स्पर्श न किया हो ऐसी कन्या पर आकर्षित होने पर उन्हीं कन्या के द्वारा उन दोनों असुर का वध हो। जब दोनों असुर का आतंक बढऩे लगा तो ब्रह्म देव शिव जी के पास गए और कहा कि देव मां को कैसे भी क्रोधित करेंं। इसी कार्य को पूर्ण करने हेतु एक दिन जब शिव पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिव ने पार्वती से हास्य करते हुए काली कह दिया।
MUST READ : हिंदू पंचांग कैलेंडर 2019 – 2020 हिंदी में देवी को चुभ गया काली कहना ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि देवी पार्वती को शिव की यह बात चुभ गई और कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गई। वह यह कहती हुई निकल गई के अगर यह रूप आपको अब पसंद नहीं तो मै न तो आपको कहूंगी के इसे बदल अन्य रुप दीजिये न स्वयं संकल्प शक्ति से ऐसा करुंगी। तपस्या से आपको पाया था उसी तपस्य से ब्रह्म देव को प्रसन्न कर यह गौर वर्ण होने का वरदान प्राप्त करुंँगी। इसके बाद देवी कठोर तपस्या में लीन हो गई। इस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा, लेकिन तपस्या में लीन देवी का तेज देखकर वह जड़वत हो बैठ गया। शेर सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठे और वह उन्हें अपना आहार बना ले। इस बीच कई साल बीत गए लेकिन शेर अपनी जगह डटा रहा।
MUST READ : शुभ विवाह मुहूर्त 2020 : एक साल में सिर्फ 56 दिन होंगे सात फेरे इस तरह मिला गौरी होने का वरदान ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि इस बीच देवी पार्वती की तपस्या पूरी होने पर ब्रह्म देव प्रकट हुए और कहा देवी आप स्वयं सक्षम जो देवी अपनी तपस्या से शिव को पति रूप में प्राप्त कर चुकी वह क्यो कष्ट सही। तब देवी ने कहा आप मेरे पति के पिता मेरे ससुर है इसलिए आप मेरे गुरुजन की कोटि में आते है आप मेरे पिता हिमालय के पिता तो आप मेरे पिता व लोकपितामह भी हुए। इस तरह तो आप मेरी लोकयात्रा के विधाता है उसी नियम का पालन कर मैंने आपकी तपस्या की तब ब्रह्म देव ने प्रसन्न होकर पार्वती जी को गौरवर्ण यानी गोरी होने का वरदान दिया। इस बाद देवी पार्वती ने गंगा स्नान किया। इसी दौरान उनके शरीर से एक सांवली देवी प्रकट हुई जो कौशिकी कहलायी और गौरवर्ण हो जाने के कारण देवी पार्वती गौरी कहलाने लगी। देवी की वह मायामयी शक्ति ही योगनिद्रा ओर वैष्णवी कहलाती है।
MUST READ : सूर्य ग्रहण 2020 : दो ग्रहण बनाएंगे युद्ध के हालात इस तरह बना शेर देवी का वाहन ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि देवी पार्वती ने उस सिंह को अपना वाहन बना लिया जो उन्हें खाने के लिए बैठा था। इसका कारण यह था कि सिंह ने देवी को खाने की प्रतिक्षा में उन पर नजर टिकाए रखकर वर्षो तक उनका ध्यान किया था। देवी ने इसे सिंह की तपस्या मान लिया और अपनी सेवा में ले लिया।