must read: नवरात्री में इन मंत्र से होता है लाभ
MahaNavratri: ज्योतिषी एनके आनंद ने बताया कि शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि भी कहा जाता है। यह नवरात्रि उत्तरी भारत और पूर्वी भारत में काफी धूम धाम से मनाया जाता है बिहार और बंगाल में दुर्गा पूजा नाम से मशहूर इस नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी झांकिया और पंड़ाल बनाए जाते हैं। इतना ही नहीं शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन दशमी यानि दशहरा सेलिब्रेट रावण दहन के साथ किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं। पूजा पाठ में रहते है। रतलाम के कालिका माता में इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
MahaNavratri: ज्योतिषी एनके आनंद ने बताया कि शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि भी कहा जाता है। यह नवरात्रि उत्तरी भारत और पूर्वी भारत में काफी धूम धाम से मनाया जाता है बिहार और बंगाल में दुर्गा पूजा नाम से मशहूर इस नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी झांकिया और पंड़ाल बनाए जाते हैं। इतना ही नहीं शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन दशमी यानि दशहरा सेलिब्रेट रावण दहन के साथ किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं। पूजा पाठ में रहते है। रतलाम के कालिका माता में इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
must read: नवरात्रि में मां को चढ़ाएं ध्वज, पूरी होगी हर मनोकामना मंदिर में होते है अनेक आयोजन
Many Events Are Held In The Temple: शहर सहित जिले में स्थित माता के विभिन्न मंदिरों में अनेक आयोजन होते है। कालिका माता मंदिर में जहां नौ दिन तक भक्तों की भीड़ रहती है वही दूसरी तरफ मंदिर में पूजा पाठ भी जारी रहता है। अष्टमी के दिन सुबह से विशेष अनुष्ठान होता है। सुबह व शाम को यहां नौ दिन तक गरबों का आयोजन होता है। इनके अलावा राजापुरा स्थित गढ़खंगाई माता मंदिर में तो न सिर्फ रतलाम, बल्कि गुजरात से लेकर राजस्थान तक के भक्त आते है। इनके अलावा सातरुंडा के करीब कंवलका माता जी के मंदिर में तो भक्त मदिरा तक चढ़ाते है।
Many Events Are Held In The Temple: शहर सहित जिले में स्थित माता के विभिन्न मंदिरों में अनेक आयोजन होते है। कालिका माता मंदिर में जहां नौ दिन तक भक्तों की भीड़ रहती है वही दूसरी तरफ मंदिर में पूजा पाठ भी जारी रहता है। अष्टमी के दिन सुबह से विशेष अनुष्ठान होता है। सुबह व शाम को यहां नौ दिन तक गरबों का आयोजन होता है। इनके अलावा राजापुरा स्थित गढ़खंगाई माता मंदिर में तो न सिर्फ रतलाम, बल्कि गुजरात से लेकर राजस्थान तक के भक्त आते है। इनके अलावा सातरुंडा के करीब कंवलका माता जी के मंदिर में तो भक्त मदिरा तक चढ़ाते है।
must read: नवरात्रि में करे सेहत को तरोताजा नवरात्रि कलश स्थापना समय और पूजा विधि, सामग्री
Navratri Kalash Establishment Time And Puja Vidhi, Contents: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, इस साल कलश स्थापना का मुहूर्त 29 सितंबर को सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट का है। कलश स्थापना के लिए तड़के सुबह उठकर सुबह स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। घट स्थापना के दौरान मिट्टी का थोड़ा ऊंचा बेदी बनाकर जौ को बौ दें। अब इसी वेदी पर कलश की स्थापना करें। इसके बाद कलश के ऊपर कुल देवी की मूर्ति को स्थापित कर पूजा करें और मां दुर्गा का पाठ भी करें। इसके साथ ही घर से लेकर मंदिरों में अनेक स्थान पर मां दुर्गा की मूर्ति के आगे नौ दिन तक अखंड दीप जलाने का भी विधान है।
Navratri Kalash Establishment Time And Puja Vidhi, Contents: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, इस साल कलश स्थापना का मुहूर्त 29 सितंबर को सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट का है। कलश स्थापना के लिए तड़के सुबह उठकर सुबह स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। घट स्थापना के दौरान मिट्टी का थोड़ा ऊंचा बेदी बनाकर जौ को बौ दें। अब इसी वेदी पर कलश की स्थापना करें। इसके बाद कलश के ऊपर कुल देवी की मूर्ति को स्थापित कर पूजा करें और मां दुर्गा का पाठ भी करें। इसके साथ ही घर से लेकर मंदिरों में अनेक स्थान पर मां दुर्गा की मूर्ति के आगे नौ दिन तक अखंड दीप जलाने का भी विधान है।
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दुर्गा अष्टमी 6 अक्टूबर 2019 दुर्गा नवमी, महानवमी 7 अक्टूबर दशहरा 8 अक्टूबर must read: Navratri 2018 दिखने में है खूब छोटी सी चीज, घर में रखने पर छप्पर फाडक़र बरसता है धन
किस दिन किस देवी की पूजा ( Which Goddess Is Worshiped On Which Day )
– 29 सितंबर, रविवार- प्रतिपदा, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
– 30 सितंबर, सोमवार- द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
– 1 अक्टूबर, मंगलवार- तृतीया, मां चंद्रघंटा पूजा
– 2 अक्टूबर, बुधवार- चतुर्थी, मां कुष्मांडा पूजा
– 3 अक्टूबर, गुरुवार- पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
– 4 अक्टूबर, शुक्रवार- षष्ठी, मां कात्यायानी पूजा
– 5 अक्टूबर, शनिवार- सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
– 6 अक्टूबर, रविवार- अष्टमी, मां महागौरी पूजा
– 7 अक्टूबर, सोमवार- नवमी, मां सिद्धिदात्री पूजा
– 29 सितंबर, रविवार- प्रतिपदा, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
– 30 सितंबर, सोमवार- द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
– 1 अक्टूबर, मंगलवार- तृतीया, मां चंद्रघंटा पूजा
– 2 अक्टूबर, बुधवार- चतुर्थी, मां कुष्मांडा पूजा
– 3 अक्टूबर, गुरुवार- पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
– 4 अक्टूबर, शुक्रवार- षष्ठी, मां कात्यायानी पूजा
– 5 अक्टूबर, शनिवार- सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
– 6 अक्टूबर, रविवार- अष्टमी, मां महागौरी पूजा
– 7 अक्टूबर, सोमवार- नवमी, मां सिद्धिदात्री पूजा