रतलाम

mp election 2023: सेव, सोने और साड़ी के शहर में उद्योग विकसित नहीं होने का दर्द आज भी है

mp election 2023- रतलाम शहर, रतलाम ग्रामीण व सैलाना विधानसभा क्षेत्र: मजदूरों में पलायन की पीड़ा

रतलामMay 16, 2023 / 08:51 pm

Manish Gite

 

सिकन्दर पारीक

सेव, सोने व साड़ी के लिए प्रसिद्ध रतलाम जिले की जनता का आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर क्या मन है? यह पता करने के लिए तीन विधानसभा सीटों रतलाम शहर, ग्रामीण और सैलाना से शुरुआत की। रतलाम शहर के हृदयस्थल चांदनी चौक, दो बत्ती, शहर सराय और महू-नीमच बस स्टैण्ड को बातचीत का केंद्र बनाया। कैलाश पाटीदार, रत्नेश शर्मा और पंकज सिंह ने महंगाई को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि उद्योग ही नहीं है तो करेंगे क्या? फिर क्या, यहां से औद्योगिक क्षेत्र की राह पकड़ी। बरसों से बंद पड़ी एल्कोहल फैक्ट्री के ठीक सामने मिले उद्योगपति विवेक कपूर ने सड़क व विद्युत व्यवस्था में भ्रष्टाचार की बानगी बताई। बोले, इलाके में लाल पानी को लेकर अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो गए लेकिन समस्या जस की तस है।

 

 

मोटर साइकिल इसी विधानसभा क्षेत्र के डोसी गांव की ओर मुड़ गई। टेलरिंग करते मिले प्रभुलाल उन विरले लोगों में से एक थे, जो सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। समस्याओं के बारे पूछे जाने पर बोले, कुछ नहीं। जहां तक महंगाई की बात है तो आय भी बढ़ी है। बोले-पहले मैं पेंट-शर्ट सिलाई के 200 से 300 लेता था आज 600 से 700 ले रहा हूं।

 

पीएम आवास में मकान बनाया, छत नहीं डली

अब हम रललाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के धामनोद कस्बे में पहुंच गए। यहां मिले गोपाल बोले, हमें तो मजदूरी भी नहीं मिल रही। पीएम आवास में मकान बना लिया लेकिन छत ही नहीं डली।

 

https://youtu.be/hHjR6P3_uSs

 

 

मेरा नाम मत लिखना, रहना मुश्किल हो जाएगा

सेजावता गांव का मोड़। यहां एक चाय की दुकान पर कुछ लोग बैठे थे। समस्याओं की बात आई तो एक व्यक्ति ने कहा कि एक फैक्ट्री का प्रदू षित पानी हमारा जीवन बर्बाद कर रहा है। मजबूरी यह है कि फैक्ट्री से हमें रोजगार मिलता है। नाम पूछा, तो बोला, नाम न लिखना। गांव के रसूखदार नाराज हो जाएंगे। रहना मु श्किल कर देंगे।

 

विकास की नहीं यात्रा

पलसोड़ा का मिलन चौराहा व राम मंदिर। एक तरफ युवा तो दूसरी तरफ चर्चा करते बुजुर्ग। युवक अर्जुन राठौर, मनोज राठौर के अनुसार गांव में गंदगी पसरी है लेकिन कोई नहीं सुनता। पीने के पानी की समस्या ज्यादा है। विकास यात्रा के बारे में बात करने पर बोले, विकास की यात्राएं निकलीं, लेकिन विकास नहीं आया। मंदिर के पास आय-व्यय का हिसाब-किताब कर रहे बुजुर्ग कचरू और कन्हैयालाल ने कहा-खूब दावे किए कि शौचालय बन गए। खुले में शौच यथावत है। आगे ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में डेकनपुर गांव में चाय की दुकान पर भरत जाट ने कहा कि हर घर नल की बात हुई लेकिन आधा अधूरा कार्य हुआ। टोंटी तक नहीं लगी।

 

मजदूरी नहीं मिलती, गुजरात पलायन

सैलाना विधानसभा क्षेत्र के सैलाना कस्बे में पहुंचा। यहां चौक पर बहादुर भारती, नानूलाल निनामा, बबलू गवली और अनिल गवली बोले, मजदूरी के लिए।बाहर जाना पड़ता है। बाहर मजदूरी है क्या? यह पूछने पर सेरा गांव के रमेश बोले- यहां 200 से 250 रुपए मजदूरी और गुजरात में 600 से 650 रुपए मिलते हैं।

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