पढ़ें ये खास खबर- Patrika Positive News : कोरोना काल में उठे मदद के हाथ, कोई कोविड मरीजों की कर रहा मदद, कोई बना उनके परिजन का सहारा
परिवार को सुरक्षित कर खुद लिया मां की सेवा करने का फैसला
ऐसी ही एक मिसाल जावरा नगर के शिक्षाविद धर्मनिष्ठ दीपचंद डांगी के बेटे मनोज डांगी ने भी कलयुग का श्रवण कुमार बनकर पेश की। बता दें कि, स्व. धुलचंद को चट्टा की बेटी और मनोज डांगी की मां सोहन बाई डांगी का पिछले दिनों स्वास्थ्य खराब हुआ। परिवार ने जांच कराई, तो टाइफाइड की पुष्टि हुई। बेटे मनोज ने स्वयं अपनी मां की देखभाल करने का निर्णय लिया। हालांकि, कमजोरी बढ़ती गई। आलम ये रहा कि, माता जी में कोविड के लक्षण भी दिखाई देने लगे। ऐसी स्थिति में मनोज अपनी मां को लेकर परिवार से अलग होकर मां को आइसोलेट कर लिया। साथ ही, अपने बुजुर्ग पिता, पत्नी और छोटे बच्चों को घर के अलग हिस्से नें सेफ कर दिया।
परिवार के अन्य सदस्यों को खतरे में नहीं डाला
शहर में मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते अस्पतालों में व्यवस्था न होने पर मनोज अपनी बुजुर्ग मां को लेकर दूसरे शहर के अस्पताल गए, लेकिन वहां जाकर उन्हें ये अहसास हुआ कि, मम्मी बिना सहारे के उठ बैठ नहीं सकती। मरीजों की संख्या अस्पताल में अधिक होने के चलते स्टाफ की कमी होने पर पर्याप्त उपचार न मिलता देख मनोज ऑक्सीजन सपोर्ट पर मम्मी को घर लेकर लौट आए और दिन रात घर में रखकर ही जरूरी दवाओं के साथ उनकी सेवा में लग गए। इस दौरान वो खुद अपने परिवार से अलग घर के एक हिस्से में अपनी मां के साथ आइसोलेट रहे। न तो पत्नी और न बहन को उन्होंने खतरे में डालना मंजबद किया। खुद ही दिन रात अपनी कोरोना से ग्रस्त मां के इलाज में लगे रहे।
पढ़ें ये खास खबर- मरीजों की मौत की घबराए कोविड संदिग्ध ने अस्पताल में फल काटने वाले चाकू से रेत लिया गला, कुछ घंटे बाद निगेटिव आई रिपोर्ट
मांके पास बैठक गुजारीं कई रातें
मां की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर एक बार फिर हॉस्पिटल में व्यवस्था कर स्वंय को खतरे में डालते हुए कोविड वार्ड में मां के साथ बने रहे और हॉस्पिटल में भी अपनी मां की दिन रात सेवा करते रहे। कोविड वार्ड में अटेंडेंट के सोने की व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में अपनी मां के पास रातभर बैठकर गुजार देते। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, वैसे तो, स्टाफ की ओर से मरीज की केयर में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी जाती। लेकिन, इन दिनों न चाहते हुए भी मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण मरीजों को मूल उपचार के अलावा पूरी मुस्तेदी से मरीज की केयर में किसी तरह की कमी तो आ ही जाती है।
पढ़ें ये खास खबर- पूर्व मंत्री के बंगले पर महिला मित्र ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में लिखा था- ‘तुम गुस्से में बहुत तेज हो, अब सहन नहीं होता’
नियती के आगे सब लाचार
मनोज डांगी ने अपनी मां की सेवा और उनके इलाज में कोई कोर सर नही छोड़ी, लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। कहते हैं… नियती के आगे सब लाचार हैं। रविवार देर शाम अंतिम सांस ली। लेकिन जाते वक्त उस माँ ने निश्चित ही अपने बेटे को जी भर के आशीर्वाद दिया होगा।
कोरोना वैक्सीन से जुड़े हर सवाल का जवाब – जानें इस वीडियो में