VIDEO यात्री ट्रेन चलाने से पहले रेलवे ने जारी की पांच शर्ते शांत क्रांति संघ के नायक, जिनशासन गौरव, प्रज्ञानिधि, आचार्यप्रवर 1008 श्री विजयराज मसा ने धर्मानुरागियों को सिलावटो का वास स्थित नवकार भवन से दरियादिल बनने का आव्हान करते हुए कहा कि दुखी को देखकर मन में दुख दूर करने की जो हलचल पैदा होती है, यही करूणा है। इस करूणा ने टूटते दिलों को जोडा है। रिश्तों में आई दूरियां भी कम की है। स्वार्थ का राहू जब-जब करूणा को ग्रसता है, तब-तब जीवन में अंधकार छा जाता है। करूणा दिल का उजाला है और उजले दिल का पैमाना है। दायरा दिल व्यक्ति ही करूणा से दरिया दिल बतने है। दरिया दिल व्यक्ति सक्रिय होकर मानवता का संरक्षण करते है। आज की परिस्थिति में मानव को बचाना और उसे कुशलक्षेम देना सबसे महत्वपूर्ण बन गया है।
रतलाम की घटना के बाद इंदौर कलेक्टर का बड़ा निर्णय दूसरों के रक्षण का भाव रखें आचार्य ने कहा कि स्व का रक्षण तो सभी करते है,लेकिन दूसरों के रक्षण का जो भाव रखते है, वे ही करूणावान होते है। दूसरों के रक्षण में स्व रक्षण का भाव निहित हैं, इसलिए हमे हमेशा दूसरों के रक्षण का कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का मानव समर्थ और सक्षम है, लेकिन स्वार्थ भावना के चलते दूसरो की उपेक्षा करता है। यह उपेक्षा ही उसके लिए खतरनाक साबित होती है। मानव यदि सबकी अपेक्षाएं पूरी करता रहे, तो उसकी कभी उपेक्षा नहीं होगी। दूसरों की उपेक्षा करना हिंसा है। हिंसा फिर प्रति हिंसा को जन्म देती है। संसार में इस हिंसा और प्रति हिंसा का दौर एकमात्र करूणा भावों से रूक सकता है। करूणा ही संवेदनशीलता के रूप में अभिव्यक्त होती है। संवेदनशील मानव स्नेहशील और सहनशील होता है और किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होता है।
जैन आचार्य ने कहा कोरोना संकट से उबरना है तो करना होगा यह काम Corona virus two positive cases ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2020/04/03/corona_6_5997176-m.jpg”>तो हो जाएगी संसार में अराजकता
आचार्य ने बताया कि आंतरिक अहिंसा की प्रस्तुति करूणा में होती है, जो मानव-मानव को जोडने का काम करती है। करूणा ने कभी किसी को तोडा नहीं, वह सदैव जोडती है। मानव मन की करूणा यदि सूख जाए, तो सारे संसार में अराजकता पैदा हो जाती है। करूणा की मंदाकिनी जिसके जीवन में बहती है, वह सदैव सरसब्ज रहता है। उसके जीवन की हरियाली कभी सूखती नहीं है। करूणा आत्मा का स्वभाव है। क्रूरता आत्मा का विभाव है। कोई भी विभाव ज्यादा देर ठहर नहीं सकता, उसे अपने स्वभाव में आना ही पडता है। करूणा की सक्रियता में मानवता फलती-फूलती है। करूणा के अभाव में मानव-दानव और नर-किन्नर बन जाता है। करूणा ही मानव को महामानव बनाती है।
आचार्य ने बताया कि आंतरिक अहिंसा की प्रस्तुति करूणा में होती है, जो मानव-मानव को जोडने का काम करती है। करूणा ने कभी किसी को तोडा नहीं, वह सदैव जोडती है। मानव मन की करूणा यदि सूख जाए, तो सारे संसार में अराजकता पैदा हो जाती है। करूणा की मंदाकिनी जिसके जीवन में बहती है, वह सदैव सरसब्ज रहता है। उसके जीवन की हरियाली कभी सूखती नहीं है। करूणा आत्मा का स्वभाव है। क्रूरता आत्मा का विभाव है। कोई भी विभाव ज्यादा देर ठहर नहीं सकता, उसे अपने स्वभाव में आना ही पडता है। करूणा की सक्रियता में मानवता फलती-फूलती है। करूणा के अभाव में मानव-दानव और नर-किन्नर बन जाता है। करूणा ही मानव को महामानव बनाती है।