झरना फूटने की खबर जैसे ही लोगों को लगी, तो सेलाना ही नहीं बल्कि रतलाम तक से केदारेश्वर महादेव मंदिर पर भक्तों का तांता लगने लगा है। भक्त वहां शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, शकर, जल लेकर पहुंच रहे हैं। हालांकि, स्थितियां ठीक न होने के कारण प्रशासन की ओर से जल प्रताप के नजदीक जाने नहीं दिया जा रहा है। आसपास ही कई छोटी-छोटी दुकानें भी लग गई हैं। सरवन रोड स्थित केदारेश्वर महादेव मंदिर पर ऊंचाई से गिरते झरने के समीप लोग जान जोखिम में डालकर सेल्फी ले रहे हैं। इस पर पुलिस प्रशासन का खास ध्यान नहीं है। इससे हादसे का अंदेशा बना हुआ है।
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रतलाम से 25 कि.मी दूर है कैदारेश्वर मंदिर
बता दें कि ये मंदिर रतलाम से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद सैलाना गांव के पास है। पहाड़ियों से घिरा होने की वजह से बारिश में ये स्वर्ग जैसा नजर आता है। ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरी इस जगह पर आस-पास की चट्टानों से रिसता पानी इकठ्ठा होता है और फिर झरने की शक्ल में मंदिर के आंगन में गिरने लगता है। बारिश का पानी जब ऊंचाई से मंदिर के पास स्थित कुंड में गिरता है तो पानी की छोटी-छोटी सतरंगी बूंदें वातावरण को इंद्रधनुषी आभा प्रदान करती है। ये मंदिर करीब ढाई सौ पुराना है और इसका एक अपना ऐतिहासिक महत्व भी है।
मंदिर का इतिहास
यहां मौजूद शिवलिंग प्राकृतिक है। कहते है यहां पहले केवल एक शिवलिंग हुआ करता था। 1736 में सैलाना के महाराज जयसिंह ने यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया और आगे जाकर यही मंदिर केदारेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से मशहूर हुआ। हर साल यहां महाशिवरात्रि, वैशाख पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है। वहीं सावन के महीने में तो कावड़ यात्रियों का यहां मेला से लग जाता है। बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री और भक्त यहां आते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। श्रावण मास में बड़ी संख्या में कावड़ यात्री और श्रद्धालु यहां आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।