रतलाम. सैलाना राजवंश के इतिहास में यह पहला मंगल अवसर होगा, जब कोई मुमुक्षु राजवंश पैलेस से संयम के राजपथ पर प्रस्थान करेगा। मुमुक्षु तनिष्का चाणोदिया, रतलाम की दीक्षा बुधवार को पूरे शाही अंदाज में होगी। इस ऐतिहासिक प्रसंग को निहारने के लिए देशभर से समाजजन पहुंच रहे है।
IMAGE CREDIT: patrika बुधवार को बंधु बेलड़ी आचार्य जिनचंद्रसागरसूरि आदि सुविशाल श्रमण श्रमणी वृन्द की निश्रा में दीक्षा के पूर्व 8 बजे सैलाना में वर्षीदान यात्रा निकलेगी। जो शहर के प्रमुख मार्गो से होकर पैलेस में पहुंचकर दीक्षा कार्यकम में परिवर्तित होगी। सैलाना की पावन भूमि पर करीब 100 साल पहले मालवा के परम उपकारी आगमोद्धारक आनंदसागरसूरी मसा का चातुर्मास हुआ था। उन्होंने सैलाना नरेश दिलीप सिंह को प्रतिबोध करवाते हुए जिनशासन के प्रति श्रद्धावान बनाया था। जिसके संस्कार आज भी इस राज परिवार में है। इसी राजवंश की तीसरी पीढ़ी में विक्रम सिंह परिवार द्वारा तीन दिन पहले आचार्य से दीक्षा महोत्सव पैलेस में आयोजित करने का अनुरोध किया गया था, जिसे आचार्य ने स्वीकृति प्रदान की। इसके पहले दीक्षार्थी का मंगलवार को सैलाना में मंगल आगमन हुआ। उन्होंने आचार्य के दर्शन वंदन कर आशीर्वाद लिया । उनकी बड़ी बहन की अब साध्वी पंक्तिवर्षा मसा की हाल ही में रतलाम में दीक्षा हुई है। वे भी इस समारम्भ में उपस्थित रहेगी। मंगलवार को आचार्य की निश्रा में आयोजित समूह सामायिक में करीब 700 सामायिक हुए। जिसमे बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए।
IMAGE CREDIT: patrikaक्या कहना है दिक्षार्थी का हमारे परिवार को दीक्षा विरासत में मिली है। अभी तक 15 से 16 दीक्षाएं हो चुकी है। कुछ वर्ष पहले हमारे भाई प्रियचंदसागर मसा, बड़ी बहन साध्वी प्रज्ञारत्ना मसा और छोटी बहन साध्वी चन्द्रवर्षा मसा की दीक्षाएं हुई, तभी से मन में संयम जीवन के प्रति भाव जागे थे। जब इनके सानिध्य का लाभ मिला तब विरति धर्म के प्रति मन लालायित हुआ और आज मेरे जीवन में भी यह सुखद घड़ी आ गई है। अब मै जिनशासन की सेवा में सदैव समर्पित रहूंगी ।