जिले में कोरोना काल के पहले तक करीब एक हजार से डेढ़ हजार मरीज एक साल में हदय से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियों को लेकर जिला चिकित्सालय से लेकर निजी अस्पताल में पहुंचते थे, कोरोना काल के बाद अब इनकी संख्या में बढ़ोतरी चिकित्सकों को भी हैरान कर रही है। योग प्रशिक्षक से लेकर चिकित्सक तक इस बात को मानते हैं कि महामारी के बाद आमजन अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक सजग हो गया है, लेकिन हदयघात के मामले में कमी नहीं आना, उनको चिंता में डाल रहा है।
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चिकित्सकों के अनुसार हदयघात के एक नहीं कई कारण होते हैं। लेकिन हदयघात को रोका जा सकता है, बस जरुरत पहले से मिल रहे संकेत को समझने की है, जिसे आमतौर पर 100 में से 98 लोग नजरअंदाज करते हैं। चिकित्सकों के अनुसार बाएं कंधे में दर्द होना हदयघात का पहला संकेत होता है। व्यायाम की कमी, खराब खानपान, नींद की लगातार कमी, तनाव,धूम्रपान की लत, मोबाइल का अधिक उपयोग आदि हदयघात लाने के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा मोटापा, उच्च रक्तचाप भी हदयघात का प्रमुख कारण है।
पिछले दो वर्ष में ही हदयघात व हदय से जुड़ी बीमारी के मरीजों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसकी एक खास वजह मोबाइल का अधिक उपयोग, धूम्रपान, रात में देर तक जागना है। परिवार अपने बच्चों पर ध्यान दे, 25 से 40 साल की उम्र के लोग इस बीमारी से पीड़ित रहे हैं।
– डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय
फैक्ट फाइल वर्ष हदयरोगी 2016 1590
2017 2100
2018 1430
2019 2120
2020 4470
2021 9556
2022 5726 2022 की संख्या 30 जून तक की है।