यहां पहले जाने क्या है ग्रीन कॉफी
वंदना पोरवाल ने बताया कि कॉफी के पौधे से हरे रंग के बीजों को लेकर पहले उन्हें भुना जाता है और फिर पीसकर कॉफी बनाई जाती है। इस प्रक्रिया से कॉफी का रंग हरे से बदलकर हल्का या गहरा भूरा हो जाता है और स्वाद भी बढ़ जाता है, लेकिन कॉफी में मौजूद एंटीआक्सीडेंट जैसे गुणकारी तत्व खत्म हो जाते हैं। वहीं, जब कॉफी को बिना भुने पीसकर पाउडर बनाया जाता है, तो इसे ग्रीन कॉफी कहते हैं। इसमें कई गुणकारी तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं।
वंदना पोरवाल ने बताया कि कॉफी के पौधे से हरे रंग के बीजों को लेकर पहले उन्हें भुना जाता है और फिर पीसकर कॉफी बनाई जाती है। इस प्रक्रिया से कॉफी का रंग हरे से बदलकर हल्का या गहरा भूरा हो जाता है और स्वाद भी बढ़ जाता है, लेकिन कॉफी में मौजूद एंटीआक्सीडेंट जैसे गुणकारी तत्व खत्म हो जाते हैं। वहीं, जब कॉफी को बिना भुने पीसकर पाउडर बनाया जाता है, तो इसे ग्रीन कॉफी कहते हैं। इसमें कई गुणकारी तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं।
इस तरह करती है लाभ वजन नियंत्रण: वंदना पोरवाल ने बताया कि अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और किसी भी तरह की डाइट का अच्छी तरह पालन नहीं कर पा रहे हैं, तो ग्रीन कॉफी का सेवन शुरू कर दीजिए। ग्रीन कॉफी में अत्यधिक मात्रा में केल्प (एक प्रकार का समुद्री खरपतवार) होता है, जिसमें भरपूर मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं। यह शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को संतुलित बनाए रखता है। साथ ही यह मेटाबॉलिज्म के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे शरीर में मौजूद जरूरत से ज्यादा चर्बी और कैलरी को कम किया जा सकता है (2)। इसलिए, ग्रीन कॉफी वजन कम () करने के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकती है
डायबिटीज पर असर: वंदना पोरवाल ने बताया कि टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त मरीज ग्रीन कॉफी का सेवन कर सकते हैं। इसे पीने से रक्त में बढ़ा हुआ शुगर का स्तर कम हो सकता है। साथ ही वजन भी कम होने लगता है और ये दोनों चीजें ही टाइप-2 डायबिटजी को ठीक करने के लिए जरूरी हैं।
सिरदर्द: वंदना पोरवाल ने बताया कि अगर ग्रीन कॉफी को सीमित मात्रा में पिया जाए, तो यह सिरदर्द से भी राहत दे सकती है। यह न सिर्फ सिरदर्द को कम कर सकती है, बल्कि उसे दूर भी कर सकती है। ग्रीन कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इस काम में मदद करते हैं
ह्रदय रोग: वंदना पोरवाल ने बताया कि ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसके सेवन से रक्त नलिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ह्रदय रोगों से लडऩे में मदद मिलती है। साथ ही ग्रीन कॉफी पीने से ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और रक्तचाप नियंत्रित होता है। इससे उन लोगों को फायदा हो सकता है, जो डायबिटीज व ह्रदय रोग से ग्रस्त हैं।
कोलेस्ट्रोल को खत्म करने का अच्छा स्रोत कोलेस्ट्रोल: वंदना पोरवाल ने बताया कि इसे नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन सीमित मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन किया जा सकता है। यह खराब कोलेस्ट्रोल को खत्म करने का अच्छा स्रोत है। अगर शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाए, तो मोटापा व ह्रदय रोग जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं।
रोगप्रतिरोधक क्षमता: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि ग्रीन कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण रोगप्रतिरोधक सिस्टम को किसी भी तरह के वायरल और बैक्टीरियल के हमले से बचता है। इसलिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन ग्रीन कॉफी का सेवन किया जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि ग्रीन कॉफी में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करता है और पूरी तरह से हमारे स्वास्थ्य को बेहतर करता है। कई शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि ग्रीन कॉफी के बीजों में 100 प्रतिशत क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो मुख्य रूप से कैफीन एसिड होता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं। यह रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर त्वचा कोशिकाओं को हर तरह के नुकसान से बचाता है।
भूख में कमी: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि अगर आप लगातार भूख लगने की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ग्रीन कॉफी आपकी मदद कर सकती है। इसमें भूख को कम करने की क्षमता होती है। यह हर समय कुछ न कुछ खाने की लालसा को नियंत्रित कर सकती है, जिससे हम जरूरत से ज्यादा भोजन करने से बच सकते हैं। इससे हमारे शरीर में अतिरिक्त वसा का निर्माण नहीं हो पाता और हम जरूरत से ज्यादा वजन से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं।
दिनचर्या में शामिल करना फायदे का सौदा कैंसर: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि कैंसर जैसी बीमारी के लिए भी ग्रीन कॉफी कारगर है। इसमें मौजूद फेनोलिक यौगिक ट्यूमर को पनपने से रोकने में सक्षम हैं। साथ ही यह कैंसर को नियंत्रित कर उसे बढऩे से रोकने में भी सक्षम है। यह विभिन्न तरह के कैंसर को पनपने से रोक सकता है। इसलिए, ग्रीन कॉफी को अपनी दिनचर्या में शामिल करना फायदे का सौदा हो सकता है।
रक्त संचार: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि शरीर में रक्तचाप अधिक होने पर स्ट्रोक, ह्रदयाघात, गुर्दे का रोग आदि बीमारियां हो सकती हैं। वहीं, शोधकर्ताओं का दावा है कि ग्रीन कॉफी के बीजों में एस्प्रिन नामक प्रभावशाली तत्व होता है, जो रक्ता नलिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह रक्त में प्लेटलेट्स के स्तर में सुधार लेकर आता है। इससे रक्त धमनियां स्वस्थ रहती हैं और रक्त संचार बेहतर रहता है।
डिटॉक्सीफिकेशन: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि ग्रीन कॉफी के बीजों को प्राकृतिक डिटॉक्स माना गया है। ग्रीन कॉफी के सेवन से खराब कोलेस्ट्रोल, अतिरिक्त फैट और हमारे लीवर से जीवाणु बाहर निकल जाते हैं। जब लीवर ठीक होगा, तो वो अच्छे से काम करेगा और मेटाबॉलिज्म में सुधार होगा।
स्किन मॉइस्चराइजर: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि ग्रीन कॉफी में एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ फैटी एसिड, लिनोलिक एसिड और ओलेक एसिड भी होता है। ये सभी त्वचा को पोषित करते हैं और जरूरी मॉइस्चराइजर प्रदान करते हैं। इससे त्वचा रूखी व बेजान होने से बच जाती है। त्वचा पर बढ़ती उम्र का असर नजर नहीं आता। साथ ही त्वचा पर किसी भी तरह के दाग-धब्बे भी नहीं पड़ते।
झाइयों से बचाव: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि ग्रीन कॉफी में एमिनोब्यूटिरिक एसिड, थियोफिलाइन व एपिगैलोकैटेचिन गैलेट जैसे कुछ जरूर तत्व होते हैं। ये सभी तत्व मिलकर त्वचों को स्वस्थ रखने का काम करते हैं और झुरियों से बचाते हैं। इसलिए, प्रतिदिन ग्रीन कॉफी पीना सेहत के लिए लाभकारी है।
टूटते बालों के लिए: डॉक्टर अभय ओहरी ने बताया कि बालों के कमजोर होकर झडऩे के पीछे एक मुख्य कारण ऑक्सीडेंट होता है। वहीं, अभी तक आप यह तो जान ही चुके हैं कि ग्रीन कॉफी का सबसे प्रमुख स्रोत एंटीऑक्सीडेंट है। इस गुण के कारण ही टूटते बालों के लिए यह वरदान की तरह है। यह विषैले जीवाणुओं के खिलाफ लडऩे में सक्षम है। साथ ही बालों को मजबूत बनाकर उन्हें टूटकर गिरने से बचाता है और उनकी खूबसूरती लौटाता है।
ये है ग्रीन कॉफी बनाने की आसान विधि हमने वंदना पोरवाल व डॉक्टर अभय ओहरी से जाना कि ग्रीन कॉफी किस प्रकार से हमारे लिए लाभकारी है। अब हम जानेंगे कि ग्रीन कॉफी को बनाया कैसे जाता है। इसे हरे रंगे के कच्चे बीजों से बनाया जाता है, जो बिना भुने हुए होते हैं। इन बीजों को इनके प्राकृतिक रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
जरूरी सामग्री: ग्रीन कॉफी के करीब 10 ग्राम बीज, तीन चौथाई कप गर्म पानी।
बनाने की विधि: ग्रीन कॉफी बीज का पैकेट बाजार में व ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है। संभव हो तो आप किसी आयुर्वेदिक दुकान से ही ग्रीन कॉफी खरीदें। वहां आपको अच्छी गुणवत्ता की ग्रीन कॉफी मिल सकती है।
आप रात को पानी में बीजों को डालकर रख दें। अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें। इससे बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा। अब आप पानी को आंच से उतार लें और छान लें।
जब पानी सामान्य हो जाए, तो उसे पिएं। वहीं, अगर आपके पास ग्रीन कॉफी का पाउडर है, तो आप पानी को उबाल कर उसमें पाउडर का एक पाउच डालकर घोल लें और पिएं।
बनाने की विधि: ग्रीन कॉफी बीज का पैकेट बाजार में व ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है। संभव हो तो आप किसी आयुर्वेदिक दुकान से ही ग्रीन कॉफी खरीदें। वहां आपको अच्छी गुणवत्ता की ग्रीन कॉफी मिल सकती है।
आप रात को पानी में बीजों को डालकर रख दें। अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें। इससे बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा। अब आप पानी को आंच से उतार लें और छान लें।
जब पानी सामान्य हो जाए, तो उसे पिएं। वहीं, अगर आपके पास ग्रीन कॉफी का पाउडर है, तो आप पानी को उबाल कर उसमें पाउडर का एक पाउच डालकर घोल लें और पिएं।