ज्योतिर्विद् सोमेश्वर जोशी के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मध्यान्ह काल में हुआ था। मध्यान्ह काल में भगवान की स्थापना करना श्रेष्ठ है। इस वर्ष 2 सितंबर को चतुर्थी तिथि सुबह 4.56 बजे से रात 1.53 बजे तक रहेगी। इसी दिन सूर्योदय से सुबह 8.32 बजे तक हस्त नक्षत्र और इसके बाद मंगलकारी चित्रा नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही 2 सितंबर को सुबह 8.33 से 3 सितंबर को सुबह 6.24 बजे तक रवि योग भी होगा। इस दिन सुबह 11.04 से दोपहर 1.37 बजे तक गणेश पूजन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है। यह अवधि करीब 2 घंटे 32 मिनट की रहेगी। ऐसे में धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार द्वितीया तिथि के साथ ही तीज 1 सितंबर को मनाना शास्त्र सम्मत है। 1 सितंबर को हरतालिका तीज मनाना शास्त्र सम्मत बता रहा है। 1 सितंबर को तृतीया तिथि सुबह 8.26 से अगले दिन सुबह 4.26 तक रहेगी। 1 व 2 सितंबर दोनों ही दिन तिथि सूर्योदय को स्पर्श नहीं कर रही है। इसके चलते तिथि का क्षय हो गया है।
गणेश प्रतिमा बनाने की शस्त्रीय ईको फ्रेंडली विधि गणेश चतुर्थी या बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद नदी के किनारे जाकर वहां से साफ मिट्टी लेकर आएं। उस मिट्टी को छानकर एवं शुद्ध जल मिलाकर मिट्टी में गंगाजल, केसर व पवित्र चन्दन, गोबर, हल्दी, केसर, अबीर जल डालकर आटे जैसा गूंथ लें। फिर उस मिट्टी से एक गणेशजी की मूर्ति का निर्माण करे इसके बाद ककू, आबूर, गुलाल, हल्दी, अक्षत, काजल से श्रंृगार कर उसे स्थापित करे। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में गं गणपतये नम: का जप करते रहे विधि विधान से पूजन करे।