MP News: उज्जैन के व्यापारी (ujjain Traders) दो हजार साल से भी ज्यादा समय पहले खाड़ी देशों (Gulf countries) तक व्यापार करने जाते थे। इसके लिए वे शिप्रा नदी (Shipra River) से सीधे जुड़े जलमार्ग (Waterways) का उपयोग कर अरब सागर (Arabian Sea) पहुंचते थे।
विक्रम विवि (Vikram University) के पुराविद (archaeologist) डॉ. रमण सोलंकी (Dr Raman Solanki) और अश्विनी शोध संस्थान (Ashwini Research Institute) के निदेशक डॉ. आरसी ठाकुर ने रतलाम (Ratlam) के सिपारा गांव (Sipara Village) में मिली 2100 साल पुरानी मुहर (2100 years old Seal) के अध्ययन (Study) के बाद यह दावा किया है।
ऐसी है यह सील
एमपी के रतलाम(Ratlam) के आलोट तहसील के सिपारा गांव (Sipara Village, Alot) में कई पुरावशेष मिले हैं। एक मिट्टी की मुहर (Soil Seal) भी है। इसमें पानी पर तैरता जहाज और नीचे मछली दिखाई दे रही है। यह शिप्रा में गंगा, यमुना और चंबल के माध्यम से उज्जैन से अरब सागर के रास्ते को दर्शाती है।ब्राह्मी लिपि में संदेश
खोजी दल (research party) को मिली सील में मछली के नीचे प्राचीन ब्राह्मी और संस्कृत लिपि में लेख है। सिपारा गांव में चंबल और शिप्रा (Chambal and Shipra River Sangam Point) का मिलन होता है, यहां 4000 साल पुरानी बस्ती के भी अवशेष मिले हैं। ये भी पढ़ें: RSS को पसंद आया सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, ‘कोटे में कोटा’ का करेगा समर्थन ये भी पढ़ें: Cheetah in Kuno: कूनो में चीता गामिनी के शावक की मौत, पोस्टमार्टम खोलेगा राज