MUST READ : दिवाली पर गणेश पूजन में सूंड का रखे विशेष ध्यान, नहीं तो चली जाती है महालक्ष्मी रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी रवि जैन ने बताया कि दिवाली के पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर को धनतेरस से होगी, लेकिन इसके पूर्व 21 अक्टूबर को सोम तो 22 अक्टूबर को भौम पुष्य योग के साथ ही बुधादित्य, लक्ष्मीनारायण व मालव योग का संयोग हो रहा है। दिवाली व धनतेरस के पूर्व नागरिक हर प्रकार की खरीदी के लिए तो व्यापारी नए बहीखाते की खरीदी नए प्रतिष्ठान के शुभांरम के लिए पुष्य नक्षत्र का इंतजार करते है। इस साल नागरिको व व्यापारियों के लिए दो दिन पुष्य नक्षत्र योग के साथ ही बुधादित्य लक्ष्मीनाराण व मालव योग बन रहा है।
MUST READ : दिवाली पूजा का बेस्ट मुहूर्त यहां पढे़ं व्यापारी भी खासे उत्साहित इस योग में खरीदी करने व नए कार्य की शुरूआत करने लाभकारी माना जाता है । इस साल खासबात यह है कि नागरिकों को खरीदी के लिए भागमभाग नहीं करना पडेगा, क्योंकि पुष्यनक्षत्र 21 अक्टूबर सोमवार की शाम 5 बजकर 33 मिनट से शुरू हो कर 22 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। दो दिन तक पुष्य नक्षत्र योग को लेकर बाजार के व्यापारी भी खासे उत्साहित है।
MUST READ : महाबली रावण ने किए थे शरद पूर्णिमा के टोटके, आप भी करें मिलेगा लाभ इसलिए पुष्य का महत्व बढ़ा रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी रवि जैन ने बताया कि सोमवार को चन्द्रमा की स्वग्रही राशि कर्क में दोपहर 11 बजकर 40 मिनट पर प्रवेश करेगा तथा पुष्य नक्षत्र की शुरूआत शाम 5बजकर 33 मिनट पर होगी जो अगले दिन मंगलवार को संध्या 4 बजकर 40 मिनट तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। इस समयावधि में तुला राशि में बुध के साथ सूर्य व शुक्र की युति होने पर बुधादित्य और लक्ष्मीनारायण योग व स्वग्रही शुक्र से मालव योग का भी संयोग बन रहा है इसलिए नागरिको के लिए खरीदी व व्यापारियों के लिए बिक्री हेतु पुष्य का महत्व बढ गया है।
MUST READ : भूलकर मत करना यह 7 काम, नाराज होती है महालक्ष्मी नक्षत्रों का सम्राट है पुष्य रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी रवि जैन ने बताया कि ग्रहों के मंडल में पुष्य को नक्षत्रों का सम्राट माना गया है । पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है जो दीर्घकालीन लाभ व स्थायित्व का प्रतिनिधि माना गया है। इस नक्षत्र में कार्य करने से किसी भी प्रकार के कुयोग का प्रभाव नहीं होता है। जिस वार को पुष्य नक्षत्र आता है उस वार के नाम से पुष्य माना जाता है इस साल सोमवार व मंगल वार को पुष्य नक्षत्र आने से सोम व भौम पुष्य का योग बना है। शनि न्याय एवं स्थिरता का कारक है यही वजह है कि इस योग में जो कार्य किए जाते है वे शुभ तो होते ही है उसमें सफलता एवं स्थिरता की संभावना अधिक हो जाती है।
MUST READ : नवरात्रि, दिवाली, किसमस तक रेलवे चलाएगा 30 विशेष ट्रेन पुष्य नक्षत्र वाले ये कार्य कर सकते है
नवीन कार्य की शुरूआत एवं प्रतिष्ठान का शुभारंभ बही खाता, सोना-चांदी, इलेक्ट्रिक आयटम, वाहन खरीदी, भूमि भवन खरीदी का सौदा, नवीन ग्रह का शुभांरभ, ग्रह प्रवेश इत्यादि सभी मंगल कार्य कर सकते है।
नवीन कार्य की शुरूआत एवं प्रतिष्ठान का शुभारंभ बही खाता, सोना-चांदी, इलेक्ट्रिक आयटम, वाहन खरीदी, भूमि भवन खरीदी का सौदा, नवीन ग्रह का शुभांरभ, ग्रह प्रवेश इत्यादि सभी मंगल कार्य कर सकते है।