रतलाम

लंदन से पढ़ी-लिखी गोल्ड मेडलिस्ट थीं रतलाम की पहली महिला विधायक, पहली बार में मिले थे 14 हजार वोट

MP Asssembly Election 2023 : वर्ष 1957 के चुनाव में थांदला निवासी सुमन ने रतलाम से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीती…सुमन व इनके भाई कुसुमकांत ने स्वतंत्रता संग्राम में लिया था हिस्सा, सोशल वेलफेयर ऑफिसर का पद छोड़ 33 साल की उम्र में बनीं थी विधायक…

रतलामOct 17, 2023 / 11:28 am

Sanjana Kumar

सिकन्दर पारीक। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्ययन के बाद न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में उपाधि प्राप्त कर गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा ने भारत लौटने पर अध्यापन में भाग्य आजमाया। ग्वालियर के कमला राज कॉलेज में बतौर प्रोफेसर जुड़ी, चूंकि मन समाजसेवा में था इसलिए केन्द्र सरकार में सोशल वेलफेयर ऑफिसर की नौकरी ज्वाइन कर ली। वर्ष 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद 1 नवंबर, 1956 को नया राज्य मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया और इसी बीच 1957 के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज गई। झाबुआ जिले में थांदला निवासी सुमन जैन को कांग्रेस ने रतलाम से टिकट दिया और 25 फरवरी 1957 को हुए चुनाव में सुमन जैन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कम्युनिस्ट पार्टी इंडिया के बदरीलाल को 6293 मतों से मात दी। इस तरह रतलाम को 33 वर्षीय सुमन जैन के रूप में पहली महिला विधायक मिली, जो स्वतंत्रता सेनानी भी थी। इनका निधन इंदौर में वर्ष 2010 को हुआ।

 

कुसुमकांत जैन की बहन थी सुमन

थांदला के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुसुमकांत जैन की सुमन जैन बहन थी। 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ। इस संविधान को तैयार और लागू करने के लिए भारतीय संविधान समिति बनाई गई थी, उसमें सबसे युवा सदस्य थांदला के कुसुमकांत थे, बाद में राजनीति में आए और सेन्ट्रल में मिनिस्टर रहे।

 

 

इस तरह मिला रतलाम का टिकट

स्कूली शिक्षा से ही सुमन जैन स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ी थी, राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ में अध्ययन के दौरान महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित हुई और एक वर्ष तक विभिन्न आंदोलन में सक्रिय रही। इसके लिए स्कूली पढ़ाई से भी एक वर्ष तक दूरी बना ली। महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में भी भाग लिया। बाद में पुन: वनस्थली लौटी। यहां से उच्च अध्ययन के लिए लंदन चली गई। जब सुमन केन्द्र सरकार के समाज कल्याण विभाग में अधिकारी थी, तभी वर्ष 1957 का चुनाव आ गया। गांधी के साथ आंदोलन करने और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के चलते कांग्रेस ने सुमन जैन को रतलाम से टिकट दिया।

14 हजार मत मिले थे

वर्ष 1957 के चुनाव में रतलाम विधानसभा क्षेत्र में 55003 मतदाताओं में से 25407 ने मत का उपयोग किया, इसमें आधे से भी ज्यादा 14006 मत सुमन जैन को मिले, जबकि एक अन्य निर्दलीय महिला प्रत्याशी भूरीबाई को 374 मत मिले। निकटतम प्रतिद्वंद्वी कम्युनिष्ट पार्टी इंडिया के बदरीलाल ने 7713 मत प्राप्त किए। इस तरह 6293 मतों से सुमन जैन विजयी रही।

रतलाम के बाद यूं रही जिंदगी

रतलाम के बाद सुमन जैन इंदौर शिफ्ट हो गई। इनकी इकलौती पुत्री ऋषभ गांधी के अनुसार मां सुमन जैन ने स्वतंत्रता सेनानी को मिलने वाले लाभ भी नहीं लिए और एक मिसाल कायम की। बाद में मध्यप्रदेश खादी ग्रामोद्योग आयोग की अध्यक्ष रही। रेलवे बोर्ड में भी इन्हें सदस्य मनोनीत किया गया। लम्बे समय तक सक्रिय राजनीति से दूर रही लेकिन कई बड़े नेता इनसे राय-मशविरा लेने आवास आते थे। ओशो रजनीश, राममनोहर लोहिया भी कॉलेज में सहपाठी रहे। इंदौर आवास के दौरान सुमन जैन गुना, देवास और इंदौर विधानसभा चुनाव के दौरान कई मर्तबा जिला प्रभारी रही।

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