खेलो पत्रिका flash bag NaMo9 contest और जीतें आकर्षक इनाम इसके बाद होता ये है जब भोजन से कोई शिकायत होती है तो आईआरसीटीसी कोई कारवाई मात्र इसलिए नहीं करती, क्योकि भोजन उसने नहीं दिया। इस ट्वीट के बाद यात्रियों ने सवाल कर लिए कि गलत है तो उनको ट्रेन में आने ही क्यों देते हो।
आईआरसीटीसी ने इस बारे में यात्रियों को सोशल मीडिया के जरिए बताया है। आईआरसीटीसी का कहना है कि अनाधिकृत वेबसाइट्स से अगर यात्रियों के खाना मंगाते हैं तो उसकी गुणवत्ता, मात्रा और डिलीवरी को लेकर की गई शिकायतों पर आईआरसीटीसी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। आईआरसीटीसी ने इस ट्वीट के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की है। उसमें बताया है कि अन्य लोग आईआरसीटीसी के लिए अनुबंधीत नहीं है।
अन्य से संबंध नहीं
यात्रियों से इसी के साथ अपील की गई कि वे फूड ऑन ट्रैक मोबाइल ऐप या फिर ecatering. IRCTC .co.in के जरिए ही सफर में खाना मंगाए। इस समय ऑनलाइन ढेरों साइट्स या ऐप मौजूद हैं, जो रेल सफर के बीच खाना मुहैया कराते हैं। कई बार उनके खाने को लेकर शिकायतें आती हैं। ऐसे में यात्री उसे रेलवे की सेवा समझ उसकी शिकायत आईआरसीटीसी से करते हैं, जबकि सच्चाई कुछ और ही होती है। आईआरसीटीसी ने साफ किया है कि उसका स्वयं के एप या वेबलिंक पर अधिकृत बुक हुए भोजन के अलावा किसी निजी संस्था से कोई संबंध नहीं है।
यात्रियों से इसी के साथ अपील की गई कि वे फूड ऑन ट्रैक मोबाइल ऐप या फिर ecatering. IRCTC .co.in के जरिए ही सफर में खाना मंगाए। इस समय ऑनलाइन ढेरों साइट्स या ऐप मौजूद हैं, जो रेल सफर के बीच खाना मुहैया कराते हैं। कई बार उनके खाने को लेकर शिकायतें आती हैं। ऐसे में यात्री उसे रेलवे की सेवा समझ उसकी शिकायत आईआरसीटीसी से करते हैं, जबकि सच्चाई कुछ और ही होती है। आईआरसीटीसी ने साफ किया है कि उसका स्वयं के एप या वेबलिंक पर अधिकृत बुक हुए भोजन के अलावा किसी निजी संस्था से कोई संबंध नहीं है।
यात्रियों का विरोध
आईआरसीटीसी द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट के बाद यात्रियों ने भी विरोध शुरू कर दिया है। रतलाम के अभिषेक शर्मा ने लिखा है कि जब अनाधिकृत है तो उनको ट्रेन के अंदर तक आने की अनुमती ही क्यों दी जाती है। इसी प्रकार इंदौर की सुमन जैन लिखती है की बेहतर तो ये हो की ट्रेन में सिर्फ वो मिले जो रेलवे से अधिकृत हो।
आईआरसीटीसी द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट के बाद यात्रियों ने भी विरोध शुरू कर दिया है। रतलाम के अभिषेक शर्मा ने लिखा है कि जब अनाधिकृत है तो उनको ट्रेन के अंदर तक आने की अनुमती ही क्यों दी जाती है। इसी प्रकार इंदौर की सुमन जैन लिखती है की बेहतर तो ये हो की ट्रेन में सिर्फ वो मिले जो रेलवे से अधिकृत हो।