ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि सावन में देवों के देव भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ-साथ द्वापर युग में हुए श्री कृष्ण की आराधना का भी फल मिलता है। यदि श्रावण शुक्ल पक्ष अष्टमी से भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना विशेष मंत्र के साथ करें तो इसका विशेष लाभ मिलता हैं। यदि भक्त भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो अपनी राशि के मुताबिक भगवान के मंत्रों का जाप करें। इससे भगवान श्रीकृष्ण भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं। इसके अलावा पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
पितृदोष मुक्ति के लिए इन मंत्रों का करें जाप मेष: ऊं आदित्याय नम:।
वृषभ: ऊं आदिदेव नम:।
मिथुन: ऊं अचला नम:।
कर्क: ऊं अनिरुद्ध नम:।
सिंह: ऊं ज्ञानेश्वर नम:।
कन्या: ऊं धर्माध्यक्ष नम:।
तुला: ऊं सत्यव्त नम:।
वृश्चिक: ऊं पार्थसारथी नम:।
धनु: ऊं बर्धमानय नम:।
मकर: ऊं अक्षरा नम:।
कुंभ: ऊं सहस्राकाश नम:।
मीन: ऊं आदिदेव नम:।
वृषभ: ऊं आदिदेव नम:।
मिथुन: ऊं अचला नम:।
कर्क: ऊं अनिरुद्ध नम:।
सिंह: ऊं ज्ञानेश्वर नम:।
कन्या: ऊं धर्माध्यक्ष नम:।
तुला: ऊं सत्यव्त नम:।
वृश्चिक: ऊं पार्थसारथी नम:।
धनु: ऊं बर्धमानय नम:।
मकर: ऊं अक्षरा नम:।
कुंभ: ऊं सहस्राकाश नम:।
मीन: ऊं आदिदेव नम:।
पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
सावन में भगवान शिव भक्तों के बिगडे़ हुए हर प्रकार के काम बना देते हैं। सावन में पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। दरअसल हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें, दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति स्थित हो तो यह पितृदोष माना जाता है। पितृदोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा अगर राहु दूसरे, पांचवे, सातवे, बारहवे भाव में हो तो भी पितृदोष होता है। इसके अलावा चंद्र व केतु साथ हो तो ग्रहण दोष होता है। यदि आप पितृदोष को खत्म करना चाहते हैं तो हर शनिवार सुबह 10 बजे पहले पीपल में जल काले तिल मिलाकर चढ़ाए व अमावस्या को अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से जितना हो सके लोगों को दान करें। इसमें दवा, वस्त्र या भोजन का दान किया जा सकता है।
सावन में भगवान शिव भक्तों के बिगडे़ हुए हर प्रकार के काम बना देते हैं। सावन में पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। दरअसल हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें, दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति स्थित हो तो यह पितृदोष माना जाता है। पितृदोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा अगर राहु दूसरे, पांचवे, सातवे, बारहवे भाव में हो तो भी पितृदोष होता है। इसके अलावा चंद्र व केतु साथ हो तो ग्रहण दोष होता है। यदि आप पितृदोष को खत्म करना चाहते हैं तो हर शनिवार सुबह 10 बजे पहले पीपल में जल काले तिल मिलाकर चढ़ाए व अमावस्या को अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से जितना हो सके लोगों को दान करें। इसमें दवा, वस्त्र या भोजन का दान किया जा सकता है।
मनचाहा वर मिलता रविवार के दिन सुबह के समय भगवान सूर्यनारायण को तांबे के लोटे में गुड़, लाल फूल, रोली आदि डालकर जल चढ़ाना शुरू करें। अपने माता-पिता और उनके समान बुजुर्ग व्यक्तियों के चरण स्पर्श करें। उनसे आशीर्वाद लें। इसलिए सावन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक जो भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि जो इस महीने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता है वो हमेशा स्वस्थ रहता है और उसे मनचाहा वर मिलता है।