ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि अमावस्या तिथि की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 23 मिनट को 27 अक्टूबर को होगी। यह तिथि का समापल 28 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर होगा। महालक्ष्मी पूजा का सबसे बेहतर फल देने के लिए पूजा का समय शाम को 6 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा व यह रात को 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इसमे भी 115 मिनट का सबसे बेहतर फल वृषभ लग्न में की गई पूजा का फल मिलेगा। यह पूजा का बेहतर समय रात 8 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
इन टोटकों से करें प्रसन्न माता महालक्ष्मी को
– दिवाली पूजा के बाद घर के सभी कमरों में शंख, घंटे-घडि़याल बजाएं।
– दिवाली पूजन में पीली रंग के कोडियों को रखें। इससे माता की विशेष कृपा मिलती है।
– दिवाली के दिन शिवलिंग पर अक्षत यानी के पूरे दाने के चांवल चढ़ाएं।
– माता महालक्ष्मी की पूजा में हल्दी की एक पूरी गांठ जरूर रखें।
– पूजन के बाद इस गांठ को घर की तिजोरी में रखें।
– दिवाली के दिन सुबह पीपल में जल अवश्य चढ़ाएं।
– पीपल में जल चढ़ाने से कालसर्प दोष के साथ शनि व राहु की पीड़ा दूर होती है।
– दिवाली पूजा के बाद घर के सभी कमरों में शंख, घंटे-घडि़याल बजाएं।
– दिवाली पूजन में पीली रंग के कोडियों को रखें। इससे माता की विशेष कृपा मिलती है।
– दिवाली के दिन शिवलिंग पर अक्षत यानी के पूरे दाने के चांवल चढ़ाएं।
– माता महालक्ष्मी की पूजा में हल्दी की एक पूरी गांठ जरूर रखें।
– पूजन के बाद इस गांठ को घर की तिजोरी में रखें।
– दिवाली के दिन सुबह पीपल में जल अवश्य चढ़ाएं।
– पीपल में जल चढ़ाने से कालसर्प दोष के साथ शनि व राहु की पीड़ा दूर होती है।