MUST READ : गुरु व शनि बदल रहे दिवाली बाद राशि, पांच राशि वालों की जिंदगी में आएगा बड़ा बदलाव दिवाली पूजन मुहूर्त – दिवाली लक्ष्मी पूजा रविवार, अक्टूबर 27, 2019 पर पूजा मुहूर्त शाम 6.43 बजे से रात 8.15 बजे तक।
– प्रदोष काल शाम 5 बजकर 41 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट तक।
– वृषभ लग्न का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6 बजकर 43 मिनट से रात 8 बजकर 39 मिनट तक। MUST READ : महालक्ष्मी की करें ऐसे पूजा, धन-धान्य से भर देगी भंडार
– वृषभ लग्न का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6 बजकर 43 मिनट से रात 8 बजकर 39 मिनट तक। MUST READ : महालक्ष्मी की करें ऐसे पूजा, धन-धान्य से भर देगी भंडार
दिवाली पूजा की सामग्री
दिवाली पूजा के लिए रोली यानी टीका, चावल (अक्षत), पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी, तेल, दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, इत्र, सुपारी, पंचमेवा, 11 दिए और इससे ज्यादा दिये अपनी श्रृद्धानुसार एकत्रित कर लें।
दिवाली पूजा के लिए रोली यानी टीका, चावल (अक्षत), पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी, तेल, दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, इत्र, सुपारी, पंचमेवा, 11 दिए और इससे ज्यादा दिये अपनी श्रृद्धानुसार एकत्रित कर लें।
MSUT READ : दिवाली पर ट्रेंड कर रही यह मेहंदी डिजाइन दिवाली पूजा विधि दिवाली की शाम को वृषभ लग्न में पूजन शुरू करें। पूजा शुरू करने से पहले सभी सामग्री एक जगह रख लें। एक पटरा या चौकी लें उसे अच्छे से साफ कर उस पर लाल कपडे़ पर आटे की मदद से नवग्रह बनाएं। इसी प्रकार यह संभव नहीं हो तो लाल कपडे़ पर ९ सुपारी रखें। एक तांबे का कलश लें उसमें दूध, दही, शहद, गंगाजल, लौंग भरकर उस पर लाल कपड़ा बांध दें। इस कलश के ऊपर नारियल रखें। इसके बाद सफेद कपड़ा लेकर उस पर अक्षत रखें व इस पर दो सुपारी लेकर रखें। इनको पूर्वज की तरह अंत में पूजना है।
MUST READ : VIDEO विश्वविख्यात रतलाम महालक्ष्मी का करीब एक करोड़ का शृंगार दिवाली पूजा इस तरह शुरू करें – सबसे पहले हाथ में जल लेकर सभी देवी देवता व पूर्वज का आह्वान करें।
– आह्वान के दौरान हाथ में जल के साथ अक्षत व लाल रंग का एक पुष्प होना चाहिए। – इस आह्वान के बाद जल को भूमि पर छोड़ दे। – इसके बाद तेल व घी के दीपक को जलाए।
– लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। – सबसे पहले भगवान गणपति को पुष्प, हल्दी, कंकुम, जनोई, मिष्ठान आदि चढ़ाएं। – इसके बाद उनकी आरती करें।
– गणपति पूजन के बाद महालक्ष्मी की इसी तरह पूजा करें। – महालक्ष्मी को जनोई के स्थान पर मेहंदी व शहद का प्याला चढ़ाएं तो बेहतर रहता है। – माता लक्ष्मी को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
– फिर अपने दाहिने हाथ से उन्हें इत्र, फूल, अक्षत, मिठाई, फूल और जल अर्पित करें। – महालक्ष्मी के बाद काली, हनुमान, सस्वती, कलम की पूजा करें।
– अब बनाए हुए नवग्रह यंत्र पर चांदी का सिक्का रखें।
– भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, काली, सरस्वती, हनुमान, श्री कृष्ण और राम दरबार की विधि विधान पूजा करें।
– अब बनाए हुए नवग्रह यंत्र पर चांदी का सिक्का रखें।
– भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, काली, सरस्वती, हनुमान, श्री कृष्ण और राम दरबार की विधि विधान पूजा करें।
– इस पूजन को करने के बाद उनकी आरती उतार कर प्रसाद चढ़ाएं।
– जब प्रसाद चढ़ाए तब जलाएं गए दीपकों को घर के सभी स्थानों के कोनों पर रख दें। – इसके बाद 9 सुपारी पर नवगृह मानकर उनकी पूजा करें व भोग चढ़ाए।
– इसी तरह अंत में जो 2 सुपारी पूर्वज के नाम से रखी है उनकी पूजा करके भोग लगाए।
– सबसे अंत में जब पूजा हो जाए अपने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का BLESSING जरूर ले।
– जब प्रसाद चढ़ाए तब जलाएं गए दीपकों को घर के सभी स्थानों के कोनों पर रख दें। – इसके बाद 9 सुपारी पर नवगृह मानकर उनकी पूजा करें व भोग चढ़ाए।
– इसी तरह अंत में जो 2 सुपारी पूर्वज के नाम से रखी है उनकी पूजा करके भोग लगाए।
– सबसे अंत में जब पूजा हो जाए अपने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का BLESSING जरूर ले।