रतलाम

कोरोना ने तोड़ी उम्मीदें: बेटियों की गोल्ड जीतने की तमन्ना लॉकडाउन में उलझी

लॉकडाउन ने गांव में बदल दिया बेटियों की जीवनशैली को

रतलामApr 27, 2020 / 05:56 pm

Yggyadutt Parale

कोरोना ने तोड़ी उम्मीदें: बेटियों की गोल्ड जीतने की तमन्ना लॉकडाउन में उलझी

रतलाम। कोरोना वायरस के चलते लगे हुए लॉकडाउन ने शहर हो या ग्रामीण अंचल आमजन की जिंदगी को बदल दिया है। इस बदलाव में वो बेटियां भी शामिल है, जो किसी न किसी कार्य में लगातार व्यस्त रहती है। फिर वो चाहे राजनीति हो या खेल का मैदान, इनकी जिंदगी सबसे अधिक प्रभावित हुई है। खिलाडि़यों की नजर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड कप पर थी तो राजनीति में रहने वाली बेटियों की नजर होने वाले पंच सरपंच चुनाव में, अब सब सिर्फ इंतजार कर रहे हैं।

प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे
ग्रामीण अंचल में जन्मी जावरा निवासी मार्शल आर्ट की राष्ट्रीय खिलाड़ी सोनम सूर्यवंशी ने बताया कि मई माह की शुरुआत में भोपाल में प्रो मूईथाई लिग मैच का आयोजन होना था। हमारी नजर राज्य के लिए गोल्ड कप पर थी। अब तक दो राष्ट्रीय व एक ओपर अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेली सोनम के अनुसार इस समय घर पर रहकर अभ्यास कर रहे है। आउटडोर अभ्यास के अभाव में नुकसान तो हुआ है, लेकिन सिर्फ इंतजार कर सकते है कि देश इस बीमारी से मुक्त हो व फिर से सबकुछ पहले जैसा हो।
कोरोना ने तोड़ी उम्मीदें: बेटियों की गोल्ड जीतने की तमन्ना लॉकडाउन में उलझी
अधूरी रही गई तैयारी
गोदीधर्मसी में रहने वाली पूजा पाटीदार ने बीसीए की पढ़ाई की है व पुलिस की तैयारी कर रही थी। जावरा में यह पुलिस के उस दल में शामिल है जो अपराध रोकने की दिशा में आमजन की तरह सहयोग करते है। इन दिनों लॉकडाउन है तो ऑनलाइन तो पढ़ाई कर रही है, लेकिन कोचिंग में जिस तरह से पढ़ाई होती है, वो लाभ नहीं मिल पा रहा है। पूजा के अनुसार जैसे ही लॉकडाउन पूरा खुलेगा उनको यह भरोसा है कि फिर से उनकी पढ़ाई बेहतर शुरू हो पाएगी।
कोरोना ने तोड़ी उम्मीदें: बेटियों की गोल्ड जीतने की तमन्ना लॉकडाउन में उलझी
पंच थी, अब पीएससी की तैयारी
शहर के करीब गांव बिबडा़ेद निवासी सोनू गुर्जर एक वर्ष पहले तक पंच थी। पीएससी की तैयारी करने के लिए पंच का कार्य को छोड़ दिया, हालांकि गांव की समस्या को हल करने में कभी पीछे नहीं रही। सोनू ने बताया कि वैकेंसी नहीं निकलने की वजह से वे तैयारी तो कर रही है, लेकिन लॉकडाउन के चलते यह डर भी है कि कही समय नहीं निकल जाए। सोनू के अनुसार जल्दी लॉकडाउन खुले तो वे बेहतर शिक्षा ले पाए।
गांव जाने को हुई मजबूर
पंचेड़ निवासी अंजू सूर्यवंशी शहर में रहकर पुलिस के लिए एसआई की तैयारी कर रही थी। जब से लॉकडाउन लगा, उनको अपनी तैयारी छोड़कर घर जाने को मजबूर होना पड़ा। अंजू के अनुसार यूट्यूब पर वीडिओ देखकर पढ़ाई या तैयारी तो होती है, लेकिन गांव में शहर की तरह पुलिस के अभ्यास के लिए खेल मैदान का अभाव है। कभी कभी लगता है अगर लॉकडाउन लंबा चला तो जो सपने देखें है उनका क्या होगा। यह भरोसा है कि जल्दी ही उम्मीद की किरण वापस आएगी।

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