रतलाम जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर हुई 8 इस तरह समझे मामले को इंदौर एमवाय अस्पताल में कोरोना संदिग्ध की मौत के बाद उसका शव नियमों के विपरीत रतलाम लाए जाने के मामले में यहां के अभिभाषक विस्मय अशोक चत्तर ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनके द्वारा इंदौर कलेक्टर और एम वाय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में बताया गया कि एमवाय अस्पताल से कोरोना संदिग्ध का शव जांच रिपोर्ट आने के पूर्व ही परिजनों को सौंप दिया था, जिसके चलते इंदौर की सीमा सील होने के बाद भी शव परिजनों रतलाम लेकर पहुंच गए थे जिसके बाद रतलाम में भी कोरोना का मरीज सामने आया है।
VIDEO यात्री ट्रेन चलाने से पहले रेलवे ने जारी की पांच शर्ते Corona virus in gwalior ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2020/04/11/corona_viras_6003073-m.jpg”>पीएम मोदी ने किया लॉकडाउन
अभिभाषक चत्तर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए 25 मार्च से संपूर्ण भारतवर्ष में लॉक डाउन की घोषणा की गई थी। पुलिस का उल्लंघन करने पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 हुआ भादवि की धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई के लिए संपूर्ण राज्यों का आदेशित किया गया था। उसके बाद भी आज तक इस मामले में दोषी अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
अभिभाषक चत्तर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए 25 मार्च से संपूर्ण भारतवर्ष में लॉक डाउन की घोषणा की गई थी। पुलिस का उल्लंघन करने पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 हुआ भादवि की धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई के लिए संपूर्ण राज्यों का आदेशित किया गया था। उसके बाद भी आज तक इस मामले में दोषी अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
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अभिभाषक शिल्पा चत्तर और गौरव पांचाल द्वारा बताया 4 अप्रैल को इंदौर एमवाय अस्पताल में संदिग्ध मरीज की मौत हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना रिपोर्ट आने के पूर्व ही शव सौंप दिया था जो कि शव को लेकर रतलाम पहुंचे और यहां पर कई लोगों की मौजूदगी में शव को दफनाया गया था। रिपोर्ट आने पर जब मृतक के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई तो रतलाम प्रशासन ने मृतक के पूरे क्षेत्र को कंटेंटमेंट एरिया घोषित कर सील कर दिया गया था।
अभिभाषक शिल्पा चत्तर और गौरव पांचाल द्वारा बताया 4 अप्रैल को इंदौर एमवाय अस्पताल में संदिग्ध मरीज की मौत हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना रिपोर्ट आने के पूर्व ही शव सौंप दिया था जो कि शव को लेकर रतलाम पहुंचे और यहां पर कई लोगों की मौजूदगी में शव को दफनाया गया था। रिपोर्ट आने पर जब मृतक के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई तो रतलाम प्रशासन ने मृतक के पूरे क्षेत्र को कंटेंटमेंट एरिया घोषित कर सील कर दिया गया था।
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पूर्व तक शहर में एक भी कोरोना संक्रमण का मामला उजागर नहीं हुआ था लेकिन लापरवाही के बाद पहला मामला सामने आया है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भारत सरकार और मप्र शासन द्वारा कलेक्टर इंदौर और एमवाय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर विभागीय जांच की जावे। साथ ही उनके लापरवाही पूर्ण रवैया के चलते इन पर पांच-पांच लाख रुपए का हर्जाना भी अधिरोपित किया जाए।
पूर्व तक शहर में एक भी कोरोना संक्रमण का मामला उजागर नहीं हुआ था लेकिन लापरवाही के बाद पहला मामला सामने आया है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भारत सरकार और मप्र शासन द्वारा कलेक्टर इंदौर और एमवाय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर विभागीय जांच की जावे। साथ ही उनके लापरवाही पूर्ण रवैया के चलते इन पर पांच-पांच लाख रुपए का हर्जाना भी अधिरोपित किया जाए।
Ratlam में पहले संदिग्ध छूपे रहे अब सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करवा पा रहे उनके खिलाफ भी केस दर्ज होना चाहिए रतलाम पुलिस प्रशासन द्वारा जिस तरह से 28 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, उसी तरह से इस पूरे मामले में इंदौर प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन भी दोषी है, ऐसे में उनके खिलाफ भी केस दर्ज होना चाहिए। हमारे द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दर्ज कराई गई है जिसमें इंदौर कलेक्टर और एम वाय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक पर मुख्य रूप से कार्रवाई की मांग की गई है।
– विस्मय अशोक चत्तर, अभिभाषक
– विस्मय अशोक चत्तर, अभिभाषक