यदि अयोध्या मे दशरथ नन्दन श्रीराम नहीं होते
रतलाम के धमचक मुलथानी ने सुनाया कि आदिशंकराचार्य नहीं होते तो चारों धाम नहीं होते । राधा-राधा नहीं होती यदि घनश्याम नहीं होते।। मर्यादाएं कभी की दफन हो जाती इस देश में, यदि अयोध्या मे दशरथ नन्दन श्रीराम नहीं होते। टिमरनी मुकेश शांडिल्य ने हमने ही तो घर में घुसकर रावण को ललकारा है, नागों का मर्दन कर डाला कंसो को भी मारा है सुनाकर खूब तालियां बटोरी। इंदौर के मुकेश मोलवा ने सुनाया कि अवध सांस्कृतिक राजधानी बन रही है, धर्म की ध्वजा सम्पूर्ण राष्ट्र में तन रही है। भोपाल से आए गीतकार धर्मेंद्र सोलंकी सुनाया…उगो दिन से, नहीं ढलती हुई तुम शाम हो जाओ। नहीं मैखाने वाला तुम छलकता जाम हो जाओ। अभी भगवान का अवतार तो मुमकिन नहीं लोगों। उठो तुम ही किसी रावण की खातिर राम हो जाओ।
रतलाम के धमचक मुलथानी ने सुनाया कि आदिशंकराचार्य नहीं होते तो चारों धाम नहीं होते । राधा-राधा नहीं होती यदि घनश्याम नहीं होते।। मर्यादाएं कभी की दफन हो जाती इस देश में, यदि अयोध्या मे दशरथ नन्दन श्रीराम नहीं होते। टिमरनी मुकेश शांडिल्य ने हमने ही तो घर में घुसकर रावण को ललकारा है, नागों का मर्दन कर डाला कंसो को भी मारा है सुनाकर खूब तालियां बटोरी। इंदौर के मुकेश मोलवा ने सुनाया कि अवध सांस्कृतिक राजधानी बन रही है, धर्म की ध्वजा सम्पूर्ण राष्ट्र में तन रही है। भोपाल से आए गीतकार धर्मेंद्र सोलंकी सुनाया…उगो दिन से, नहीं ढलती हुई तुम शाम हो जाओ। नहीं मैखाने वाला तुम छलकता जाम हो जाओ। अभी भगवान का अवतार तो मुमकिन नहीं लोगों। उठो तुम ही किसी रावण की खातिर राम हो जाओ।
तिब्बत वाले बौद्ध मठों से आशीषों की आशा है
कवि सम्मेलन में लखनऊ से आए वेदव्रत वाजपेयी जैसे ही मंच पर पहुंच और अपने अंदाज में उन्होंने…जैसे ही कहा…अभी तिरंगे के रंगों का ठीक से उडऩा बाकि है। कटे फटे इस मानचित्र का पूरा जुडऩा बाकी है।। पंजा साहेब ननकाना में शक्ति प्रदर्शन करना है। हमको भी तो हिंगलाज माता के दर्शन करना है।। तिब्बत वाले बौद्ध मठों से आशीषों की आशा है। मानसरोवर का पावन जल पीने की अभिलाषा है।। लोगों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से कविता का स्वागत किया।
कवि सम्मेलन में लखनऊ से आए वेदव्रत वाजपेयी जैसे ही मंच पर पहुंच और अपने अंदाज में उन्होंने…जैसे ही कहा…अभी तिरंगे के रंगों का ठीक से उडऩा बाकि है। कटे फटे इस मानचित्र का पूरा जुडऩा बाकी है।। पंजा साहेब ननकाना में शक्ति प्रदर्शन करना है। हमको भी तो हिंगलाज माता के दर्शन करना है।। तिब्बत वाले बौद्ध मठों से आशीषों की आशा है। मानसरोवर का पावन जल पीने की अभिलाषा है।। लोगों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से कविता का स्वागत किया।
12 को रत्नेश्वर महादेव की महाआरती
रतलाम स्थापना महोत्सव समिति संस्थापक व संयोजक मुन्नालाल शर्मा, अध्यक्ष प्रवीण सोनी और सचिव मंगल लोढ़ा ने बताया कि 12 फरवरी की शाम 7 बजे रतलाम राज्य के जनक महाराजा रतनसिंह की ओर से स्थापित रत्ननेश्वर महादेव मंदिर रत्नेश्वर रोड पर महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया जाएगा। 14 फरवरी को बसंत पंचमी रतलाम स्थापना दिवस धूमधाम से मनेगा।
इनका किया सम्मान
अतिथियों ने प्रतिभाओं में समाजसेवी मोहन मुरलीवाला, ओमप्रकाश सोनी, पंकज कटारिया, सलीम आरिफ, हेमंत मूणत, ओमप्रकाश चौरसिया, सत्यनारायण शर्मा, विजय मीणा, वर्षा पंवार, सुरेश तंवर और पंकज भाटी का सम्मान किया।
रतलाम स्थापना महोत्सव समिति संस्थापक व संयोजक मुन्नालाल शर्मा, अध्यक्ष प्रवीण सोनी और सचिव मंगल लोढ़ा ने बताया कि 12 फरवरी की शाम 7 बजे रतलाम राज्य के जनक महाराजा रतनसिंह की ओर से स्थापित रत्ननेश्वर महादेव मंदिर रत्नेश्वर रोड पर महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया जाएगा। 14 फरवरी को बसंत पंचमी रतलाम स्थापना दिवस धूमधाम से मनेगा।
इनका किया सम्मान
अतिथियों ने प्रतिभाओं में समाजसेवी मोहन मुरलीवाला, ओमप्रकाश सोनी, पंकज कटारिया, सलीम आरिफ, हेमंत मूणत, ओमप्रकाश चौरसिया, सत्यनारायण शर्मा, विजय मीणा, वर्षा पंवार, सुरेश तंवर और पंकज भाटी का सम्मान किया।