प्रदेश की सड़कों पर पिछले तीन साल में हादसों के आंकड़े चौकाने वाले हैं। इस दौरान इन सड़कों पर 6953 लोगों की मौत हो चुकी है। इन सड़कों पर हादसों की संख्या 22 हजार 797 है, जबकि घायलों की संख्या 23 हजार 714 है। यानि हर दिन 22 लोग पिछले तीन साल से घायल हो रहे हैं और हर दिन सात लोगों की मौत हर दिन इन सड़कों पर हो रही है। हैरानी की बात ये है कि किसी भी दल के चुनावी मेनिफेस्टो में इस बारे में आमजन को सुर क्षित रोड देने के बारे में एक भी लाइन नहीं रखी गई है।
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साल 2020 से 2023 तक के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसपर गौर करें तो जावरा से नयागांव वाले रास्ते पर बहुत सावधानी के साथ सफर करने की जरूरत है। इस सड़क पर इन तीन साल की अवधि में 1087 हादसे हुए, जिसमें 444 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1193 लोग घायल हुए हैं। वहीं लेबड़-जावरा रोड पर 862 हादसे हुए। जिसमें 725 लोग घायल हुए और 323 लोगों की मौत हुई। इसके मुकाबले भोपाल से देवास रोड पर इस दौरान 988 हादसे हुए जिसमें 1171 लोग घायल हुए और 281 लोगों की मौत हुई। जबकि इंदौर-उज्जैन रोड भी कम घातक नहीं हैं। यहां पर 1597 सड़क हादसे हुए, जिनमें से 1345 लोग घायल हुए और 218 लोगों की मौत हो गई।
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इस संबंध में रतलाम रेंज डीआईजी मनोज सिंह का कहना है कि सामान्य रोड हो या फोरलेन, वाहन पर गति नियंत्रण होना जरूरी है। पुलिस अपना काम करती है, लेकिन वाहन चालक को भी इस मामले में जागरूकता होना जरूरी है। हेलमेट नहीं होना रोड दुर्घटना में मृत्यु होने का एक बड़ा कारण है।