अंत्येष्टि में नहीं जाने पर…
घटना के संबंध में बताया जाता है कि झालजमीरा गांव के सुकरा उरांव के पुत्र बिरसा उरांव की मौत हो गई थी। गांव के सभी लोग अंत्येष्टि में शामिल होने के बाद पानी देने उसके घर गए। गांव का ही सहनई उरांव किसी कारण से अंत्येष्टि की रस्मों में हिस्सा नहीं ले पाया। सहनई से नाराज ग्रामीणों ने बैठक बुलाई। इसके बाद…
बैठक के बाद के बाद गांव वाले सहनई उरांव के घर गए और डायन-बिसाही का आरोप लगाते हुए उसे लाठी-डंडे से पीटना शुरू कर दिया। भीड़ ने पत्थर से कूचकर उसकी हत्या कर दी। फिर शव को झालजमीरा गांव के बड़का टोली आंगनबाड़ी केंद्र के पास लाकर फेंक दिया। ग्रामीणों का कहना है कि सहनई उरांव झाड़ फूंक करता था। इसकी सूचना मिलने के बाद मौके पर झालजमीरा गांव पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर कार्रवाई में जुट गई है।
गांव में हुई मौतों का मानते थे जिम्मेदार
दरअसल गांव में पिछले कुछ दिनों के भीतर बीमारी और सामान्य कारणों से 3 लोगों की मौतें हुई थी। इसके लिए ग्रामीण 53 वर्षीय सहनई उरांव को जिम्मेवार मानते थे। एक दिन पहले सहनई के रिश्तेदार बिरसा उरांव की मौत हो गई थी। उसे मृतक को पानी देने की रस्म के लिए बुलाया गया था। यहीं पर उससे मारपीट शुरू की गई।
मेरे पिताजी को ग्रामीण बुलाकर ले फिर सब लोग लाठी डंडे से लैस थे, पहले घर के रिश्ते के लोगों ने ही मारना शुरू किया फिर सब मारने लगे और उसे जान से मार दिया, मेरा पिताजी ओझा गुनी नहीं खेती बाड़ी करते थे।
विनोद उरांव, मृतक सहनई उरांव का पुत्र
पुलिस ने गांव पहुंच कर शव को कब्जे में ले लिया है। मामले की जांच में जुट गई है।
प्रियदर्शी आलोक, पुलिस अधीक्षक,लोहरदगा
गौरतलब है कि झारखंड में अंधविश्वास के कारण कई लोगों की जान चुकी है। कई ऐसे मामले में भी सामने आये है, जिसमें अंधविश्वास की आड़ में लोग पुरानी रंजिश अथवा जमीन विवाद या अन्य कारणों से हत्या की घटना को अंजाम देकर इसे अंधविश्वास से जुड़ा मामला बताने की कोशिश करते है।