नाकाफी साबित हुए प्रयास डायन-बिसाही के खिलाफ अभियान चला रही कई संस्थाओं के प्रयास के बावजूद समय-समय पर इस तरह की निरंतर घटनाएं होती रहती हैं और भीड़ द्वारा हत्या किए जाने का मामला सामने आने के कारण अधिकांश मामलों में आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती है और वे साक्ष्य के अभाव में बरी हो जाते हैं। सूबे में हाल की कुछ महीनों की प्रमुख घटनाओं को देखा जाए, तो 26 मई 2019 को सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर थाना क्षेत्र में अंधविश्वास में नौ महिलाओं का सिर मुंडवा कर घुमाया गया , लेकिन पुलिस की तत्परता की वजह से सभी जान बच गई। 21 अप्रैल 2019 को सिमडेगा जिले में ऐसे ही आरोप में पति-पत्नी की हत्या कर दी गई। 21 फरवरी 2019 को कोडरमा जिले के मरकच्चो में अंधविश्वास में दो महिलाओं को जिन्दा जलाकर मार डाला गया। 20 फरवरी को गुमला जिले में एक महिला की हत्या कर दी गई।
बदस्तूर जारी रहा घटनाओं का सिलसिला 23 दिसंबर 2018 को रांची के तमाड़ थाना क्षेत्र में एक महिला की कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी गई। 12 नवंबर को पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर में एक महिला की हत्या कर दी गई। 20सितंबर को रांची के बेड़ो थाना क्षेत्र में बुधनी देवी नामक एक महिला की हत्या कर दी गई। 1 सितंबर 2018 को गुमला जिले के सिसई थाना क्षेत्र में पति-पत्नी की हत्या कर दी गई। 30 जुलाई 2018 को रांची के नरकोपी थाना क्षेत्र में सलाईन मुंडाईन नामक एक महिला की हत्या कर दी गई। इससे पहले भी रांची के मांडर थाना क्षेत्र में अंधविश्वास ( Superstition ) के कारण गांव की सात महिलाओं की एक साथ नृशंस हत्या का भी मामला सामने आया है। अंधविश्वास में की गयी अधिकांश हत्या मॉब लिंचिंग का एक हिस्सा है, जिसमें लोग कानून को अपने हाथ में लेते है और पुलिस ऐसी घटना को भीड़ द्वारा की गई हत्या का मामला करार देकर छानबीन करती है, जिसके कारण अभियुक्तों के खिलाफ साक्ष्य और गवाह मिलने में कठिनाई होती है।