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बूटी रोड स्थित आईएएस क्लब में समारोह का आयोजन किया गया। विवाह के लिए सुबह से ही वर-वधू अपने-अपने परिजनों के साथ आयोजन स्थल पर पहुंचे। एक ही छत के नीचे में हिंदू, ईसाई व सरना धर्म के अनुसार विवाह की रस्में पूरी की गई, इसके लिए पहले से ही पंडित, पाहन व पादरी की व्यवस्था की गई थी। सभी वर-वधू अपने-अपने धर्म के अनुरूप विवाह के परिधान पहने हुए थे। विवाह को लेकर वर-वधू में खासा उत्साह नजर आ रहा था। कार्यक्रम के दौरान परिजनों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी।
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कुछ ऐसे विवाह भी थे जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। आगंतुकों के पांव तब ठिठक गए, जब यहां एक ही मंडप में मां और उसकी सगी बेटी की शादी हुई। एक ही मंडप में मां और बेटी को परिणय सूत्र में बंधते देखने के लिए आसपास के इलाकों से हुजूम जुटा था। रांची के कांके प्रखंड के सांगा गांव निवासी मां मांपरमी (50) और बेटी कलावती यहां एक ही मंडप में वैवाहिक बंधन में बंधी। लोगों ने मां—बेटी को नए जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। मौके पर सांगा गांव के 12 जोड़ों की शादी हुई। नामकुम के पास तुंजू गांव के एक जोड़े ने भी सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। बबलू मूंडा और सोनी कुमारी की इस अनोखी शादी में उनका 3 साल का बच्चा भी गोद में रहा। जोड़े ने बताया कि उनका रिश्ता पिछले पांच वर्षों से चल रहा है, लेकिन वे परिस्थितियों की वजह से विवाह नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने बताया कि इन पांच वर्षों में उन्हें एक बच्चा भी हो गया, लेकिन आज उनकी शादी संपन्न हो सकी है। विवाह की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिखाई दी।
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निमित्त संस्था की संस्थापक डाॅ. निकिता सिन्हा ने बताया कि सांस्कृतिक मूल्य में किसी पुरुष और महिला को बिना वैवाहिक बंधन के साथ रहने की अनुमति प्राप्त नहीं है। लेकिन इस कारण से ऐसे जोड़ों को सामाजिक उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया गया कि जिन वर-वधु ने अपनी पसंद के जोड़े को तो चुन लिया, लेकिन शादी नहीं कर पाए, उनके लिए यह खास आयोजन किया गया था। सभी आगंतुकों ने संस्था के इस प्रयास की सराहना की।