इधर, बाबूलाल मरांडी के भाजपा में जाने के संकेत के साथ ही झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) एक बार फिर टूट की कगार पर पहुंच गया है। विधानसभा चुनाव 2019 में झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी समेत तीन विधायक चुनाव जीत कर आए है, चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाने के बाद बाबूलाल मरांडी ने भारतीय जनता पार्टी में घर वापसी का संकेत दिया है, लेकिन पार्टी के दो अन्य विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भाजपा में विलय के पक्ष में नहीं हैं।
बाबूलाल मरांडी चंद दिनों पहले तक भाजपा में पुनर्वापसी की बजाय कुतुबमीनार से कूदना बेहतर विकल्प बताते थे, लेकिन अब उनके भाजपा में वापसी की पटकथा लिखी जा रही है। बताया जा रहा है कि बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल होने पर राजधनवार विधानसभा सीट से त्यागपत्र दे देंगे और उपचुनाव लड़ेंगे अथवा राज्यसभा में जाएंगे। दूसरी तरफ पोड़ैयाहाट से निर्वाचित प्रदीप यादव और मांडर से चुने गए बंधु तिर्की ने भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। बाबूलाल मरांडी ने दलबदल को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाते हुए अपनी पार्टी के सभी इकाइयां भंग कर रखी हैं। विदेश यात्रा से लौटने के बाद बाबूलाल मरांडी पार्टी की नई केंद्रीय कार्यकारिणी की घोषणा करेंगे और नयी केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में झाविमो के भाजपा में विलय की औपचारिकता पूरी किए जाने की संभावना है।
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में झाविमो के आठ विधायक चुनाव जीत कर आए थे, जिनमें से छह विधायक चुनाव के तुरंत बाद भाजपा में शामिल हो गये थे, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में भी वर्षों तक दल-बदल का मामला चला और फैसला छह विधायकों के पक्ष में आया था। 2019 में बाबूलाल मरांडी समेत तीन विधायक चुनाव जीत कर आये है, परंतु इस बार झाविमो विधायक नहीं, बल्कि खुद पार्टी प्रमुख ही भाजपा में शामिल होना चाहते है।