नए विवेचक श्रीकांत द्विवेदी ने दस्तावेजों की बिना जांच व बयान लिए ही गम्भीर धाराओं को हटा दिया। वजह इस धारा में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान था। जो विवेचना वर्ष 2020 से चल रही थी उसे क्राइम ब्रांच के विवेचक श्रीकांत ने कुछ समय में ही पूरा कर आजम खान का नाम निकाल दिया। शासन ने अब पूर्व एसपी और एएसपी की भूमिका की जांच अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्र बी. व विजिलेंस की आईजी मंजिल सैनी को सौंपी है।
श्रीकांत ने ही उनके ओएसडी रहे आफाक अहमद (मुख्य आरोपी) के लखनऊ स्थित आवास पर नोटिस तामील करा दिया जबकि वह उस समय सीबीआई के लखनऊ में दर्ज एक मुकदमे में विदेश में फरारी काट रहा था। जब शासन ने जांच कराई तो इस विवेचक ने तर्क दिया कि नोटिस व्हाटसएप पर तामील कराई गई जो की नियमानुसार सही है। पर, नियम यह है कि अगर सम्बन्धित आरोपी किसी दूसरे मामले में फरार है तो उसे व्हाटसएप पर नोटिस नहीं तामील कराई जा सकती है। इस विवेचक ने अपनी उपस्थिति अभियुक्त आफाक अहमद के गोमतीनगर स्थित आवास पर दिखाने के लिये एक फोटो भी खिंचवाई। यह फोटो भी उसकी गलत कार्रवाई का सुबूत बन गई। वजह इस फोटो में ही आफाक के घर पर सीबीआई की चस्पा वह नोटिस भी दिख रही है, जिसमें उसे फरार दिखाया गया है।
खतौनी को जांच के लिए देखा गया तो उसमें पेज नम्बर 1531 व 1532 से छेड़छाड़ मिली। दोनों पन्नों को हटाकर दो अलग से पन्ने जोड़े गए थे। इसमें आफाक अहमद द्वारा छह जुलाई 1972 को अपना फर्जी ब्योरा डलवाकर इमामुद्दीन से दाखिल खारिज दिखा दिया गया था। जांच अधिकारी ने जब तहसील में इससे संबंधित जिल्द देखी तो मूल अभिलेख इमामुद्दीन कुरैशी के नाम का मिला। विवेचक ने इसे भी अनदेखा कर दिया था।