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दरअसल, पूर्व जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने 23 सितंबर 2017 को मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी में बनी चकरोड की जमीन को लेकर 4 वाद राजस्व परिषद प्रयागराज में दायर कराए थे। मौलाना मोहम्मद जौहर अली विश्वविद्यालय में जो चकरोड थी, उसके बदले में दूसरी जमीन दी गई थी। इसी को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि बदले में दी गई जमीन उपयोगी नहीं है। इसमें नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसी मामले की सुनवाई करते हुए राजस्व परिषद ने 24 जनवरी 2019 को आदेश दिए कि इस मामले में मुरादाबाद कमिश्नर 3 माह के अंदर मामले का निस्तारण करें, लेकिन इसके विरोध में आजम खान में 24 मार्च 2019 को पुनर्विचार करने के लिए एक प्रार्थना पत्र कमिश्नरी में दिया, जिसे 4 जून को बोर्ड ने खारिज कर दिया है। बोर्ड के सदस्य श्याम सुंदर शर्मा ने आदेश में कहा है कि पत्र में ऐसा कोई तथ्य नहीं दिया गया है, जिसे पुनर्विचार के लिए आधार माना जा सके।
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उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व राज्यमंत्री के बेटे आकाश सक्सेना उर्फ हनी ने सपा नेता आजम खान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने तमाम शिकायतें मुख्यमंत्री से लेकर संबंधित मंत्रियों से की हैं और कई मामले में उनके खिलाफ कोर्ट में भी मामले दायर किए हैं। मामला जौहर विश्वविद्यालय की सड़क का है, जिसमें आकाश हनी ने आजम खान पर करोड़ों की लागत से बनी सड़क पर कब्जे को लेकर तत्कालीन डीएम शिव सहाय अवस्थी को प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन डीएम ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आजम खान के खिलाफ राजस्व परिषद प्रयागराज में चार वाद दायर किए थे, जिसमें से एक में आजम खान को कोर्ट से बड़ा झटका मिला है।
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