कारीगर नासिर बताते हैं कि मेरा इस काम में पूरा बचपन ही गुजर गया। लगभग 21 साल हो गए हैं। इससे पहले मेरे वालिद बनाते थे, उन्हें भी कम से कम 50 साल हो गए हैं। मेरे भाई को भी 40 से 50 साल हो गए। यह परंपरा हमारे दादा के समय से चली आ रही है। रावण के पुतले उत्तराखंड जा रहे हैं। रुद्रपुर, गदरपुर, बिलासपुर, हल्द्वानी काफी जगह यह जाते हैं।
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