निचली अदालत को आदेश देने की थी मांग
पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश की निचली अदालत को आदेश देने की मांग की थी। याचिका में उनकी मांग थी कि कोर्ट उनके नाबालिग होने के दावे की पुष्टि होने तक उनके खिलाफ कोई फैसला नहीं सुनाए। याचिका में उच्चतम अदालत से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश की निचली अदालत को आदेश देने की मांग की थी। याचिका में उनकी मांग थी कि कोर्ट उनके नाबालिग होने के दावे की पुष्टि होने तक उनके खिलाफ कोई फैसला नहीं सुनाए। याचिका में उच्चतम अदालत से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को मुरादाबाद के जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि वह किशोर न्याय अधिनियम के तहत अब्दुल्ला आजम के नाबालिग होने के पहलू पर फैसला करें। अदालत ने कहा था कि निर्णय को आगे के विचार के लिए उसके पास भेजें। इस मामले में अब्दुल्ला आजम के ओर से वकील कपील सिब्बल ने उनका पक्ष रखा।
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ये था पूरा मामलावहीं सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की। बता दें कि मामला जनवरी 2008 का है। तब मुरादाबाद के छजलैट में पुलिस चेकिंग के दौरान अब्दुल्ला आजम को रोका गया तो वो धरने पर बैठक गए थे। जिसके बाद उनके और कई सपा नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।