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रामपुर

अब्दुल्ला के जाते ही BJP ने रणनीति बनानी की शुरू, लेकिन अपना दल क्यों पेंच फंसा रहा है?

Suar assembly seat has become vacant: स्वार सीट पर उप-चुनाव से पहले पूरी इनसाइड स्टोरी। इसमें है BJP का दांव, अपना दल का पेंच और अब्दुल्ला की नासमझी की कहानी।

रामपुरFeb 18, 2023 / 03:51 pm

Upendra Singh

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अब्दुल्ला आजम की विधायकी जाते ही स्वार में फिर उथप-पुथल मची है। बीजेपी अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। अपना दल पेंच फंसा रहा है। अपना दल इस सीट से प्रत्याशी उतारना चाहता है, क्योंकि 2022 में अपना दल ने अपना प्रत्याशी उतारा था। अपना दल के प्रत्याशी हमजा मियां सपा के अब्दुल्ला आजम से चुनाव हार गए थे।

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अब्दुल्ला आजम को सजा होने पर खाली हो गई स्वार सीट
13 फरवरी को आजम खान और अब्दुल्ला आजम को 2-2 साल की सजा हुई। मुरादाबाद के छजलैट में सड़क जाम करने और सरकारी काम में बाधा डालने पर मुरादाबाद के MP-MLA कोर्ट ने सजा सुनाई है। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने स्वार सीट को रिक्त घोषित कर दिया।
अपना दल एस के जिलाध्यक्ष बोले- उप-चुनाव में स्‍वार सीट हमें मिलेगी
अपना दल एस के जिलाध्यक्ष चौधरी घनवीर सिंह ने बताया, “अपना दल एस का आज भी भाजपा से गठबंधन है। विधानसभा चुनाव में हमें प्रदेश में 17 सीट मिली थी। स्वार-टांडा भी अपना दल एस के हिस्से में आई थी। उप-चुनाव में भी यह सीट हमें मिलेगी।”
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IMAGE CREDIT: बीजेपी के मुरादाबाद जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह ने चौहान ने बताया कि बीजेपी के कई कार्यकर्ता चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
BJP जिलाध्यक्ष बोले- कई कार्यकर्ता चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं
भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष राजपाल स‌िंह चौहान ने बताया, “अब परिस्थितिय बदली हुई हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। हम चाहते हैं कि भाजपा ही कोई कार्यकर्ता चुनाव लड़े, लेकिन पार्टी हाईकमान जैसा चाहेगा। वैसा ही होगा। हमारी तैयारी पूरी है। स्वार में होने वाले उप-चुनाव को जीतने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।”
स्वार में 4 बार लगातार विधायक रहे भाजपा के शिव बहादुर सक्‍सेना
स्वार टांड विधानसभा सीट पर पहले भाजपा मजबूत स्थिति में रही। पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना इस सीट से 1989 से लगातार चार बार विधायक रहे हैं। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां ने साल 2002 में शिव बहादुर सक्‍सेना को हरा दिया था। तब नावेद मियां कांग्रेस में थे।
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IMAGE CREDIT: नावेद मियां 2002 में स्वार से विधायक बने और 2003 में कांग्रेस को छोड़कर बसपा में शामिल हो गए।

2003 में कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल हो गए नावेद मियां
साल 2003 में नावेद मियां कांग्रेस को छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। प्रदेश में मंत्री बन गए। 2003 में ही बसपा की सरकार गिर गई। प्रदेश में सपा की सरकार बन गई। तब नावेद मियां बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए।

नावेद मियां 2007 में चुनाव जीतने के बाद 11 महीने में इस्तीफा दे दिए
नावेद मियां 2007 में सपा के ‌टिकट पर चुनाव जीते, इसके बाद वह फिर बसपा में चले गए। उन्होंने विधायक बनने के 11 दिन बाद इस्‍तीफा दे दिया। उप-चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े और जीत गए।

अब्दुल्ला आजम ने 2022 में नावेद मियां के बेटे को हराया
साल 2012 में फिर नावेद मियां विधायक बने। 2017 के चुनाव में नावेद मियां हार गए। सपा नेता अब्दुल्ला आजम विधायक बने। 2022 में नावेद मियां के बेटे हमजा मियां अपना दल एस से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।

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