राजसमंद

32 साल की मेहनत से इस व्य क्ति ने श्मशान को बना दिया हराभरा

कहते हैं कि किसी काम को लगने से करने की धुन सवार हो जाए तो लक्ष्य मिल ही जाता है। कुछ ऐसा ही जुनून लेकर श्मशान भूमि में पहुंचे एक व्यक्ति ने जंगल को हरियाली से मंगल कर दिया। उस सख्श का नाम है मथुरालाल कुमावत।

राजसमंदSep 24, 2024 / 11:59 am

Madhusudan Sharma

Mathuralal Kumawat

मधुसूदन शर्मा
राजसमंद. कहते हैं कि किसी काम को लगने से करने की धुन सवार हो जाए तो लक्ष्य मिल ही जाता है। कुछ ऐसा ही जुनून लेकर श्मशान भूमि में पहुंचे एक व्यक्ति ने जंगल को हरियाली से मंगल कर दिया। उस सख्श का नाम है मथुरालाल कुमावत। जो सरकारी सेवा में हैं और कृषि विभाग में कृषि पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने सरकारी सेवा में रहते हुए अपना जीवन श्मशान भूमि को हरा-भरा बनाने के लिए समर्पित कर दिया। ये ऐसे व्यक्तित्व हैं। जो सरकारी सेवा करने के बाद सीधे यहीं पर पौधों की देखभाल में अपना समय व्यतीत करते हैं। जी हां ये श्मशान भूमि एमड़ी ग्राम पंचायत में है। जो आज रमणीय स्थल का रूप ले चुकी है। ये केवल और केवल कुमावत की मेहनत का ही परिणाम है। 32 साल की इस सेवा का परिणाम ये है कि इस जगह पर पक्षियों का कलरव सुनाई देता है। लोग भी यहां आकर सुकून महसूस करते हैं। इनका जुनून ऐसा था कि वन विभाग से ये पौधे लाते और यहां लाकर उसे लगाते और बच्चे की तरह पालना शुरू कर देते। आज यही पौधे अब विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुके हैं। इनकी वषोZं की मेहनत रंग लाई और लोगों के बैठने की अच्छी जगह हो गई है।

ऐसे आया मन में विचार

श्मशान भूमि में काम कर रहे कुमावत ने बताया कि वर्षों पूर्व यहां के नामचीन सरपंच मंगनीराम का निधन हो गया था। इनको दाह संस्कार के लिए इस श्मशान भूमि में लाया गया था। उस समय ये जगह उजाड़ थी और लोग यहां बैठना पसंद नहीं करते थे। सरपंच की चिता पूरी जली या नहीं। लोग देखने भी पास नहीं भटक रहे थे। तब मन में विचार आया कि क्यों न इस भूमि को हरा-भरा बनाया जाए। इसके बाद उन्होंने सबसे पहले पांच पौधे लगाए। उनकी देखभाल शुरू की। इसके अलावा आस-पास के क्षेत्र में बाड़ लगाई ताकि पौधों की सुरक्षा हो सके। देखते ही देखते ये पौधे आकार लेने लगे और मन में जबरदस्त उत्साह आया और पौधे लगाकर उनकी सेवा करना शुरू कर दिया। आज इसी श्मशान भूमि पर करीब 15 सौ पौधे हैं। जिनमें कुछ पेड़ का आकार ले चुके हैं और कुछ पौधे धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं।

काम सफल हुआ तो पंचायत ने बनाई दीवार

जैसे ही यहां हरियाली होने लगी ग्राम पंचायत ने भी काम की सराहना करते हुए श्मशान भूमि के चारों तरफ दीवार बनाई ताकि कोई भी इस भूमि पर अतिक्रमण ना कर सके। इस श्मशान भूमि के आस-पास अतिक्रमणों को भी हटवाया गया। कुमावत ने इस दीवार पर खुद के खर्चे से तारबंदी भी करवाई है। यहां पर अब हैंडपंप भी पंचायत प्रशासन की ओर से लगाया गया। जिससे पौधों में पानी देने का काम किया जाता है।

अब लगा रहे फलों के पौधे

मथुरालाल कुमावत अब श्मशान भूमि में फलो के पौधे लगाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने यहां पर सहतूत, जामुन, आम के पौधे इस साल लगाए हैं। इनकी निरंतर देखभाल की जा रही है। समयानुसान पानी भी दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार कुमावत सुबह उठते ही छह बजे सीधे श्मशान भूमि पर आ जाते हैं और इसके बाद सरकारी सेवा में जुट जाते हैं। फिर शाम को वहां से काम समाप्त कर वापस श्मशान भूमि में आकर काम करना शुरू कर देते हैं।

अंतिम संस्कार में आने वाली राशि से बनवाए चार चबूतरे

मथुरालाल ने बताया कि अंतिम संस्कार के समय लोग यहां पर कुछ राशि डालकर जाते थे। इस राशि को एकत्रित करके रख लेता था और फिर जैसे ही राशि बढ़ी। उससे बड़ व अन्य पेड़ों के नीचे लोगों के बैठने के लिए चार चबूतरे भी बना डाले। आज जब भी लोग किसी के अंतिम संस्कार में आते हैं तो इस श्मशान भूमि को देख प्रशंसा करने से नहीं चूकते।

Hindi News / Rajsamand / 32 साल की मेहनत से इस व्य क्ति ने श्मशान को बना दिया हराभरा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.