यह होता है वीजीएफ
कचरा निस्तारण का ठेका स्वायत्त शासन विभाग के माध्यम से किया गया था। इसमें वीजीएफ का भुगतान सरकार के माध्यम से किया जाना है। किसी भी प्रोजेक्ट में लगने वाली लागत में से उस प्रोजेक्ट से होने वाली आय को घटाने पर जो राशि बचती है जो संवेदक को दी जाती है उसे वैल्यू गेप फंडिंग (वीजीएफ) करते हैं। इसके तहत प्रथम किश्त के रूप में करीब 1.35 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है, जो सरकार ने अब तक नहीं किया है। इसके लिए नगर परिषद की ओर से कई बार पत्र भी लिखे जा चुके हैं।
प्रतिदिन निकलता 25 से 30 टन कचरा
नगर परिषद की ओर से घर-घर कचरा संग्रहण कर उसे ट्रेचिंग ग्राउण्ड भेजा जाता है। वहां पर गीले कचरे से कम्पोस्ट खाद और पॉलीथिन आदि से आरडीएफ बनता है। आरडीएफ को सीमेंट कम्पनियों को भेजा जाना है, लेकिन सीमेंट कम्पनियों के रूचि नहीं दिखाने के कारण टे्रेचिंग ग्राउण्ड में आरडीएफ का अम्बार लग गया है। कम्पोस्ट खाद के लिए 250 रुपए प्रति ट्रॉली से ठेका करने के कारण करीब 200 ट्रॉली उठ गया है, जबकि 500-600 ट्रॉली कम्पोस्ट अभी भी वहां पर पड़ा हुआ है।
कर्मचारी नहीं दे रहे ध्यान, रोड पर फैल रहा कचरा
कचरा निस्तारण फर्म के कर्मचारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण ट्रेचिंग ग्राउण्ड के बाहर दोनों और फिर से कचरे के ढेर लग गए हैं। फर्म के कर्मचारी का कहना है कि स्थानीय लोगों ने कचरा डाला है, जबकि कचरे को देखकर स्वयं अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर परिषद के कर्मचारी अथवा ठेकेदार के कर्मचारी ही रोड पर कचरा डालकर गए हैं। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
भुगतान का कर रहे प्रयास, जल्द होगा काम शुरू
वीजीएफ के तहत मिलने वाली प्रथम किश्त का भुगतान नहीं होने के कारण ठेकेदार ने कचरा निस्तारण का काम बंद कर रखा है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जल्द ही कचरे के निस्तारण का काम शुरू हो जाएगा।