चारभुजा स्थित रामदबार के छलकने पर गोमती नदी से राजसमंद झील में पानी की आवक होती है। 26 अगस्त को गोमती नदी का पानी राजसमंद झील में पहुंचा था। इस दौरान झील का जलस्तर 16.50 फीट था। गोमती नदी से झील में पानी की आवक शुरू हुई। झील का जलस्तर 31 अगस्त को 17.40 फीट के करीब था।
नाथद्वारा में बाघेरी के नाका के ओवरलो होने पर नंदसमंद झील में पानी पहुंचा और उसके ओवरलो होने पर खारी फीडर को खोला गया। खारी फीडर का पानी 31 अगस्त की रात्रि को राजसमंद झील में पहुंचा। इसके पश्चात से अब तक झील में लगातार पानी की आवक जारी है। इसके कारण झील का जलस्तर 28 फीट पहुंच गया है। वर्तमान में भी झील में पानी की आवक जारी है। हालांकि गोमती नदी से पानी की आवक मंद हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी राजसमंद झील गोमती और खारी फीडर के कारण ही छलकी थी।
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दो अधूरे एनिकट का काम होगा पूरा और दो बनेंगे नए
बारिश के पानी को बहकर जाने से रोकने के लिए भीम तहसील और कुंभलगढ़ तहसील में चार एनिकट का निर्माण कराया जाएगा। हालांकि इसमें दो एनिकट अधूरे हैं उनका काम पूरा कराया जाएगा। इस पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सिंचाई विभाग की ओर से भीम तहसील और का छबली में एनिकट का निर्माण करवाया जाएगा। एनिकट के अभाव में बारिश का पानी बहकर निकल जाता था। एनिकट के निर्माण पानी एकत्र होने से जलस्तर में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसी प्रकार कुंभलगढ़ की जोंक का नाका में अधूरे एनिकट का काम पूरा करवाया जाएगा। वहीं मजेरा पंचायत में बने एनिकट का नवीनीकरण करवाया जाएगा। इसके लिए सिंचाई विभाग की ओर से प्रस्ताव बनाकर वित्तीय स्वीकृति के लिए मुयालय भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलते ही टेण्डर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
चारों एनिकट में 8 से 10 एमसीएफटी पानी एकत्र होगा। इससे आस-पास के जलस्तर में बढ़ोत्तरी होगी, वहीं पशुओं के लिए भी पानी उपलब्ध होगा। उल्लेखनीय है कि इन क्षेत्रों में पानी का पानी बहकर निकल जाता है। वहीं दोनों स्थानों पर भू-जल स्तर भी काफी नीचे चला गया है। इसके कारण पानी की कमी से भी जूझना पड़ता है।