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Rajsamand News: टूरिस्टों की पहली पसंद बनी वैली क्वीन एक्सप्रेस, रेलवे को कमाकर दिए लाखों रुपये

Rajasthan News: यह ट्रेन पर्यटकों को लुभाने लगी है, जिससे इसमें यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

राजसमंदSep 27, 2024 / 03:43 pm

Alfiya Khan

Rajsamand News: देवगढ़। देश की धरोहर को दर्शाने वाली हेरिटेज ट्रेन यानी वैली क्वीन एक्सप्रेस की लोकप्रियता अब बढ़ने लगी है। यह ट्रेन पर्यटकों को लुभाने लगी है, जिससे इसमें यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गत दो माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो अगस्त 2024 व सितंबर माह में अब तक इस ट्रेन में 646 यात्रियों ने मनोरम यात्रा का लुत्फ उठाया।
इससे रेलवे को 5,27,114 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इस गाड़ी मे ऑनलाइन आरक्षण भी उपलब्ध है। लोग बड़ी संख्या मे ग्रुप मे भी टिकट आरक्षण करा कर इस मनोरम यात्रा का आनंद ले रहे हैं।
मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी उत्तर पश्चिम रेलवे कैप्टन शशि किरण के अनुसार मारवाड़- कामलीघाट- मारवाड़ के बीच मीटर गेज रेल लाइन पर सप्ताह में 5 दिन संचालित होने वाली यह पर्यटक ट्रेन लोगों को घाट क्षेत्र के विभिन्न दर्शनीय स्थलों की सैर कराती है।
उल्लेखनीय है कि अरावली की सुरम्य पहाड़ियों में आजादी से पूर्व बनी मारवाड़ -कामलीघाट रेल खंड को रेलवे की ओर से विरासत सहजने के क्रम में मीटर गेज ही रखा गया है। इस खण्ड पर मारवाड़- कामलीघाट- मारवाड़ के बीच प्रदेश की पहली हेरिटेज ट्रेन वैली क्वीन संचालित की जा रही है।
वैली क्वीन हेरिटेज ट्रेन में एक वातानुकूलित चेयर कार एवं एक पॉवर कार कोच के साथ एक डीजल इंजन को भाप इंजन जैसा बनाया गया है। यात्रा में यात्रियों को हरी-भरी घाटियों, पहाड़ियों, दुर्लभ वनस्पतियों और स्थानीय जीव जन्तुओं के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते है।
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इस मार्ग में लगभग 100 साल पुरानी दो सुरंगें और जलधाराओं पर 172 पुल हैं। ट्रेन के कोच में एनाउंसमेंट के साथ टीवी स्क्रीन भी लगाई गई है। जिसमें पूरे मार्ग एवं गोरमघाट की वादियों के बारे में पर्यटकों को जानकारी दी जाती है।
हेरिटेज ट्रेन को राजस्थानी लुक देने के लिए कोच पर राजस्थानी चित्रकारी की गई है। ट्रेन गोरमघाट, फुलाद और कामलीघाट पर रुकती है इसमें 60 सीटों वाली एसी चेयर कार कोच, एक सामान्य कोच और एक ट्वेंटी-सीटर विंडो केबिन हैं। ट्रैक पर दो घुमावदार टनल सफर का रोमांच बढ़ाती है।
अरावली पहाड़ियों के बीच मारवाड़ से कामलीघाट 47 किलोमीटर की मीटर गेज रेल लाइन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे इस क्षेत्र में पर्यटन का आधार बनी हुई है। इससे इस खंड पर पर्यटन का विकास हुआ है जिससे पर्यटन से जुड़े अन्य विभिन्न तरह के रोजगार के अवसर भी बढ़े है।
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