scriptRajsamand News: आस्था का केन्द्र है ठाकुर जी मंदिर, यहां श्रृंगार धराने की है अनूठी परंपरा | unique tradition Rajsamand Thakurji temple Diwali Celebrations | Patrika News
राजसमंद

Rajsamand News: आस्था का केन्द्र है ठाकुर जी मंदिर, यहां श्रृंगार धराने की है अनूठी परंपरा

Rajsamand Temple : चारभुजा के बड़े मंदिर पर महापर्व के पहले दिन धनतेरस पर ठाकुर जी को आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है।

राजसमंदOct 30, 2024 / 01:39 pm

Alfiya Khan

Rajsamand News: कुंवारिया। कस्बे में दीपावली महापर्व के पांचों दिन चारभुजाजी के बड़े मंदिर में स्थित ठाकुर जी की प्रतिमा को अलग-अलग श्रृंगार धराने की अनोखी परंपरा है। हालांकि कस्बा वासियों की आस्था के केन्द्र इस मंदिर में वर्ष भी सभी तीज त्योहार मनाए जाते हैं, मगर दीपोत्सव पर भगवान की प्रतिमा को विविध छवियों में देख श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं।
जानकारी के अनुसार कस्बे में चारभुजा के बड़े मंदिर पर महापर्व के पहले दिन धनतेरस पर ठाकुर जी को आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। सुनहरे वस्त्रों पर स्वर्णगोप, डोर, कंठी, हार, कंगन, कुण्डल, मयूर पंख का मुकुट पहनाया जाता है तथा शंख, चक्र, गदा आदि से सुशोभित करते हैं।
इस दिन भगवान की विशेष आरती की जाती है। महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर जंगलों की ओर जाती है। वहां से गीत गाते हुए धन के रूप में पीली मिट्टी लेकर आती है। इस दिन बाजारों में बर्तनों की दुकानों पर आकर्षक सज्जा की जाती है। दूसरे दिन रूप चौहदस पर ठाकुर जी को चांदी एवं मोतियों के आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। इस दिन भगवान की विशेष पुजा की जाती है।
दीपावली पर भगवान को रंग बिरंगे वस्त्रों, आभूषणों को धारण कराकर दर्शन देते हैं। इस दिन विशेष रूप से लहरिया, पछेवडिया, चन्द्रमा व तुर्रे कलंगिया धारण करते हैं। जिन्हे निहार कर कस्बेवासी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। दीपावली पर बाजारों में विशेष सजावट होती है। दुकानों पर लक्ष्मी पूजन पर आने वाले प्रत्येक आगन्तुक का स्वागत किया जाता है। नए परिधान में पुरुषों, युवकों, युवतियों तथा बड़े बूढों की देर रात तक बाजार में चहल -पहल रहती है।

मंगला से भोग आरती तक विराजते हैं यहां

आम जन में आस्था के इस केन्द्र के बारे में ऐसी भी मान्यता है कि भगवान के द्वारा राजा नाहरसिंह को दिए गए वचन की बाध्यता के कारण भगवान चारभुजा नाथ प्रात: मंगला की आरती से भोग की आरती तक इसी मंदिर में विराजीत रहते है। लोगों की मान्यता हे कि मंगला से भोग की आरती के मध्य में दर्शनो से मन मस्तिष्क को काफी सुकुन मिलता है। मंदिर पर आए दिन भजन किर्तन एवं विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। मंदिर पर दीपावली के दुसरे दिन अन्नकुट का मनोहारी कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें श्रद्वालुओं का सेलाब उमड़ पड़ता है।

दीपक चढ़ाने की लगी रहती भीड़

धन तेरस से खेखरे तक इस मंदिर में दीपक चढाने एवं दर्शनो के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। सपूर्ण मंदिर, मंदिर की मुंण्डेर रंग बिरंगी रोशनी व दीपकों से सजाया जाता है। मंदिर में कतारबद्ध सैकडों दीपकों से मंदिर जगकी जगमगाहट अपनी और खिचती है और ऐसा लगता है कि जेसे एक साथ में कई दीपक नृत्य कर रहे हो।
खेखरा पर्व यहां विशेष आकर्षण का होता है। इस दिन ठाकुर जी को ग्वाल छवि का श्रृंगार कराया जाता है। सिर पर केशरिया दुपट्टा, मोर पंख का चन्दोवा, कंधे से कमर तक दुपट्टा के अलावा पाट पर चांदी की कई गायों की टोली होती है। शाम को अन्नकूट होता है। जिसमे ठाकुर जी के समक्ष भांति-भांति के पकवानों व मिष्ठानों का भोग धराया जाता है। भगवान के सामने उबले हुए चावल-चमले का ढेर लगाया जाता है। जिसे कस्बे व आसपास के गांवों के आदिवासी नाचते- गाते मंदिर में प्रवेश करते हैं और चावल-चमले का प्रसाद प्राप्त करते हैं।

Hindi News / Rajsamand / Rajsamand News: आस्था का केन्द्र है ठाकुर जी मंदिर, यहां श्रृंगार धराने की है अनूठी परंपरा

ट्रेंडिंग वीडियो