राजसमंद. राजसमंद के कृषि विज्ञान केन्द्र में बना फार्म पौंड देश के लिए आइडिल फार्म पौंड साबित हुआ। इसके पश्चात ही देश में अन्य स्थानों पर प्लास्टिक रेखीय फार्म पौंड बनना शुरू हुए। यह फार्म पौंड अभी भी उपयोगी है। इसमें प्रतिवर्ष भरने वाला पानी पूरे केवीके में पौधों की सिंचाई के काम आता है। उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय की ओर से राजसमंद स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में 2005-2006 में प्लास्टिक रेखीय जलकुंड का निर्माण करवाया गया था। जलकुंड के नीचे प्लास्टिक की मोटी शीट बिछाई गई थी। इसके चहुंओर पत्थर जमाए गए है। इससे बारिश के एकत्र पानी का रिसाव जमीन में नहीं हो। यह तकनीक कारगर साबित हुई। इसमें भरा पानी अब भी पूरे वर्ष काम आता है। कृषि विज्ञान केन्द्र का दावा है कि राजसमंद में देश का पहला प्लास्टिक रेखीय जलकुंड बनाया गया था। इसके बाद ही अन्य स्थानों पर प्लास्टिक रेखीय जलकुंड बनाने की शुरुआत हुई है। वर्तमान में कच्चे और पक्के दोनों तरह के फार्म पौंड बनाए जा रहे हैं। कच्चे फार्म पौंड में प्लास्टिक बिछा दी जाती है, जिससे जमीन में पानी का रिसाव नहीं होता है। उल्लेखनीय है कि कृषि विभाग की ओर से फार्म पौंड निर्माण पर नियमानुसार अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। विभाग को प्रत्येक वर्ष इसके लिए टारगेट भी दिए जाते हैं।
फैक्ट फाइल
: 110 मीटर लम्बाई: 045 मीटर चौड़ाई
: 03 मीटर गहराई
: 13 लाख रुपए लागत
: 14 हजार घनमीटर क्षमता
: 90 हेक्टेयर जलग्रहण क्षेत्र
13.2 हेक्टेयर आवंटित की थी जमीन
राजसमंद कृषि विज्ञान केन्द्र की 1994 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मंजूरी दी थी। फरवरी 1995 में इसकी स्थापना की गई। इसके लिए 13.2 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी। इसमें प्रदर्शन इकाइयों के लिए 0.50, फसल के लिए 7.70 हेक्टेयर एवं बागवानी 2.50 हेक्टेयर आवंटित की गई। इसमें तालाब निर्माण के लिए 0.50 हेक्टेयर भूमि रखी गई थी।जमीन की किस्म खारी, फार्मपौंड पर निर्भरता
केवीके जमीन की किस्म खारी है। इसके कारण भूमिगत जल किसी काम का नहीं है। इसके कारण फार्म पौंड में एकत्र पानी सिंचाई और बागवानी के लिए उपयोग लिया जाता है। ड्रिप और फव्वारा सिस्टम से प्रदर्शन इकाईयों, बागवानी, कुक्कुट पालन, बकरी पालन और नर्सरी में पौधे तैयार करने आदि के काम में लिया जाता है। इसमें भरा पानी पूरे वर्ष भर काम आता है। इससे दोनों फसलों की पैदावार भी होती है। हालांकि केवीके में एक कुआं भी है। इस वर्ष दो कच्चा फार्म पौंड भी बनाया गया है।राजसमंद का फार्म पौंड देशभर में बना था मॉडल
केवीके में प्लास्टिक रेखीय जलकुंड बनवाया गया था। इसके बाद ही खेत तलाई योजना आदि शुरू की गई है। इस कुंड में एकत्र पानी वर्षभर फसल सहित अन्य कार्यो में आता है। वर्तमान में दो कच्चे फार्म पौंड और एक कुआं भी है।- डॉ. पी.सी.रैगर, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र राजसमंद