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प्रदेश की इस झील को राजनीति का बनाया अखाड़ा, एक भी योजना नहीं हो पाई साकार

फाइलों में दौड़ीं योजनाएं: न माही से आया पानी, न देवास प्रोजेक्ट उतर पाया धरातल पर, झील हर वर्ष खारी फीडर पर रहती है निर्भर, गोमती से भी आवक रहती है कम

राजसमंदOct 29, 2023 / 11:30 am

himanshu dhawal

प्रदेश की इस झील को राजनीति का बनाया अखाड़ा, एक भी योजना नहीं हो पाई साकार

राजसमंद. झील में खारी फीडर पहुंचता पानी। (फाइल फोटो)

राजसमंद. एशिया की दूसरे नम्बर की मीठे पानी की कृत्रिम झील कई वर्षों से राजनीति का केन्द्र बनकर रह गई है। स्थिति यह है प्रदेश में भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की, आज तक झील को भरने के नाम पर कई योजनाएं बनाई गई, लेकिन एक भी योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई है। इसके कारण झील हर साल खाली हो जाती है। पिछले 34 साल में 16 बार झील का जलस्तर माइनस में जा चुका है। राजसमुद्र के नाम से पहचानी जाने वाली राजसमंद झील प्रतिदिन हजारों लोगों की प्यास बुझाती है। झील में जब पानी होता है तो इससे 42 गांवों में सिंचाई होती है। इसके साथ ही फैक्ट्री के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। इसके कारण झील हर वर्ष खाली हो जाती है। इसे प्रतिवर्ष भरने के लिए कोई भी योजना आजतक धरातल पर नहीं उतर पाई है। नाथद्वारा के नंदसमंद के ओवरफ्लो होने पर खारी फीडर खोली जाती है। इससे इस झील में पानी की आवक होती है। साथ ही इसे भरने वाली गोमती नदी कई वर्षो में चलती है। झील को भरी रखने के लिए ठोस और मजबूत इरादों के साथ कार्य योजना बनाकर उसे धरातल पर उतारे जाने की आवश्यकता है।
खारी फीडर को चौड़ी करने की योजना

राजसमंद झील को भरने के लिए 1962 से 1968 के बीच खारी जल पूरक योजना बनाई गई। इससे प्रतिवर्ष झील में पानी आवक हो रही है। खारी फीडर को चौड़ा करने के लिए राज्य सरकार ने 2023-24 में 80 करोड़ की घोषणा की, हालांकि पूरी योजना 156 करोड़ की है। सरकार की ओर से इसकी डीपीआर भी तैयार करा ली गई। इसकी प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति भी जारी कर दी गई, लेकिन तकनीकी कारणों को चलते टेण्डर को निरस्त कर दिया गया। आचार संहिता से पहले इसका फिर से टेण्डर कर दिया गया, अब चुनाव के बाद ही इसे खोला जाएगा। इसके बाद ही कुछ काम होने की उम्मीद है।
माही से पानी लाने की योजना भी हो गई बंद
जानकारों के अनुसार 2012-13 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपने अंतिम बजट में माही बांध से सीधे राजसमंद झील में पानी लाने की घोषणा की थी, जिसकी लागत करीब साढ़े चार हजार करोड़ आंकी गई। माही बांध प्रतिवर्ष भरकर ओवरफ्लो हो जाता है। यह पानी गुजरात की ओर बहकर समुद्र में मिल जाता है। माही बांध का पानी पीपलखूंट से जाखम और उसके बाद जयसमंद और राजसमंद झील तक के जाने के लिए 2200 करोड़ की स्कीम बनाई गई। 4.56 करोड़ रुपए डीपीआर के लिए भी स्वीकृत किए, लेकिन सरकार बदल जाने से योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
देवास फेज-4 में पानी लाने की हुई कवायद

देवास फेज 4 में गुजरात के साबरमति बेसिन का पानी लाने की योजना बनी। बजट में तत्कालीन पूर्व जलदाय मंत्री और राजसमंद विधायक स्व. किरण माहेश्वरी की कोशिशों से यह प्रोजेक्ट शामिल किया गया था। इससे प्रतिवर्ष 800 से 1000 एमसीएफटी जल परावर्तन का आकलन किया गया। बजट में इसके प्रथम चरण के 1200 करोड़ रुपए की घोषणा भी की गई। वेपकॉस कम्पनी को सर्वे का ठेका भी दिया गया, लेकिन डीपीआर तैयार नहीं हुई। इस योजना को तकनीकी स्तर पर मुनासिब नहीं माना गया। राज्य में सरकार के बदलने पर माही बांध से पानी लाने की योजना भी बनाई गई।

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