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राजसमंद

‘रीना’ को फिर मिला ‘खुला आसमान’

मण्डे स्टोरी –
– नौकरी की इच्छा पूरी हो सकेगी

राजसमंदAug 24, 2020 / 09:14 am

Rakesh Gandhi

रीना को फिर मिला खुला आसमान

रीना को फिर मिला खुला आसमान

राजसमंद. रीना अब खुश है कि अब वो नौकरी कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी। शादी से पहले उसका भी सपना था कि वो पढ़-लिख कर कुछ करे, लेकिन शादी के बाद सब धरे रह गए। आखिर उसका संघर्ष काम आया। हालांकि ये दु:खद है कि उसकी शादी नहीं रही, पर उसका उसे कोई मलाल नहीं, क्योंकि वो वहां प्रताडि़त होने लगी थी। हाथापाई तक सहन करनी पड़ी। वह रोज-रोज की झिक-झिक से तंग आ चुकी थी। महिला मंच की नारी अदालत की कार्यकर्ताओं ने उसे फिर से सामान्य जिन्दगी बहाल करने में मदद की।

मात्र पांच माह पहले ही रीना व महेश (बदले हुए नाम) के परिवार वालों ने बड़ी खुशी से दोनों की शादी की। महेश विदेश में पढ़ाई कर रहा था तो रीना ने भी नौकरी करने का आग्रह किया। शादी से पहले ससुराल वालों ने वादा किया था कि रीना शिक्षित है तो उसके नौकरी करने में हमें कोई हर्ज नहीं है। शादी के बाद रीना के ससुराल वाले बदल गए और रीना को नौकरी की अनुमति नहीं मिली, जिससे परिवार में अनबन शुरू हो गई। पति-पत्नी में हाथापाई तक की नौबत आ गई। इससे रीना काफी परेशान रहने लगी। पति रमेश ने उसे स्पष्ट कह दिया कि उसे घर का ही काम करना है, नौकरी नहीं। इस तरह के घटनाक्रम के कुछ समय बाद ही ससुराल वालों ने रीना के माता-पिता को कह दिया कि ये अब हमारे यहां नहीं रहेगी। तब रीना के अभिभावकों ने रीना के पति व ससुराल वालों को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने और रीना को रखने से साफ इनकार कर दिया।

परेशान रीना एक सप्ताह पहले ही महिला मंच आई और अपना मामला पंजीकृत करवाया। मामले को समझने के बाद मंच की नारी अदालत की कार्यकर्ता नन्द कंवर, कैलाश कंवर, देऊबाई और गीता कंवर उदयपुर स्थित रीना के ससुराल गईं। वहां जाकर अच्छे से बात करनी चाही, लेकिन वहां काफी बहस होने लगी। रीना के ससुराल वालों ने कहा कि वे उनकी क्यों सुनें। समाज से बात कर फैसला करेंगे। वहां आस-पड़ोस के लोग भी इकट्ठे हो गए। तब मंच की बहिनों ने कहा कि वे उनसे बात करने आए हैं। रीना ने अपनी समस्या बता दी, अब वे उनकी भी बात सुनना चाहते हैं। इस पर वे शांत हुए और फिर बातचीत हुई।
इसके बाद भी काफी देर तक बहस चलती रही, फिर इन महिला कार्यकर्ताओं ने उनसे समजाइश की और कहा कि आप रखना नहीं चाहते हो तो इसका सभी सामान भी लौटा दो। ससुराल वालों ने शादी का सारा दहेज का सामान, जेवर आदि महिला मंच की कार्यकर्ताओं के समक्ष रीना को सौंप दिए। इस पूरी कार्यवाही से रीना को काफी राहत मिली और उसने कहा कि उसके सारे डॉक्यूमेन्ट उसे मिल गए हैं। अब वह नौकरी कर सकेगी। उसने सहयोग के लिए महिला कार्यकर्ताओं का आभार जताया।
परिवार की महिलाएं आगे रहकर मदद करें
महिलाओं का भी अपना जीवन होता है। इस तरह किसी को प्रताडि़त नहीं करना चाहिए। इससे परिवार खराब होते हैं। खासकर परिवार की महिलाओं को आगे चलकर अपने परिवार की महिलाओं को सहयोग करना चाहिए, ताकि परिवार को टूटने से बचाया जा सके। फिर भी यदि कोई महिला कहीं प्रताडि़त हो रही हैं तो वे बेझिझक महिला मंच से सम्पर्क कर सकती हैं। मंच की कोशिश रहेगी कि समझाइश कर मामला सुलझाएं।
– शकुन्तला पामेचा, संयोजिका, राजसमन्द महिला मंच

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