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Rajsamand: टॉयलेट बनाने में लाखों खर्च हुए, तो इनके ताले खोलने में क्यों आ रहा जोर, जाने क्या है मामला

खमनोर में रक्ततलाई से लेकर बलीचा में चेतक समाधि तक ऐतिहासिक स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को टॉयलेट उपलब्ध कराना शायद प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं है

राजसमंदNov 24, 2024 / 01:43 pm

Madhusudan Sharma

Toilet News

राजसमंद. खमनोर में रक्ततलाई से लेकर बलीचा में चेतक समाधि तक ऐतिहासिक स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को टॉयलेट उपलब्ध कराना शायद प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं है, तभी तो लाखों रुपए खर्च कर बनाए और स्थापित किए गए टॉयलेट पर वर्षों से ताले पड़े हुए हैं। ग्रीष्मावकाश, दीपावाली और दिसंबर-जनवरी में सर्दी की छुट्टियों पर हल्दीघाटी के पर्यटन स्थलों पर टूरिज्म बूम रहता है। लेकिन, पर्यटक बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर होते हैं और लघुशंका के लिए इधर-उधर भटकते हैं। इन सभी स्थलों पर पीने के पानी की भी कोई सुविधा नहीं है। हल्दीघाटी के पर्यटन स्थलों के विकास की सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें ही है। धरातल पर तो टॉयलेट और पीने के पानी जैसी जरूरी और बुनियादी जरूरतों पर भी शासन-प्रशासन और जिम्मेदार विभागों के ध्यान हनंी देने से शर्मनाक स्थिति बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि 18 जून 1997 को महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक की नींव रखी गई थी। पर्यटन विभाग के जरिये यहां विकास कार्यों को लेकर एक दशक तक करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बावजूद यहां पर्यटकों को एक टॉयलेट तक मयस्सर नहीं हो पाया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने रक्ततलाई, बादशाही बाग और चेतक समाधि का अधिग्रहण कर वर्ष 2003 से 2006 तक उद्यान विकसित किए थे। लेकिन, इनकी वर्तमान िस्थति देखें तो ये स्थल अपनी बदहाली अपने ही मुंह बताते नजर आते हैं।
रक्ततलाई : उद्यान परिसर में फाइबर से निर्मित रेडिमेड टॉयलेट को रखे हुए करीब एक दशक से भी ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन इनके ताले कभी खुले ही नहीं। परिसर के बाहर खमनोर पंचायत की ओर से बनाए गए पब्लिक टॉयलेट में पानी ही नहीं है। दरवाजे क्षतिग्रस्त हो रहे हैं और गंदगी जमा है। ऐसे में ये उपयोग करने लायक ही नहीं है।
शाहीबागः हाल के वर्षों में पत्थर, सीमेंट, लोहे और अन्य निर्माण सामग्री से पुरुष, महिला और दिव्यांगजनों के लिए अलग-अलग टॉयलेट बनवाए गए थे। रक्ततलाई की ही तरह शाहीबाग में भी रेडिमेड टॉयलेट 10 साल से भी अधिक समय से पड़े हुए हैं। इन दोनों ही प्रकार के टॉयलेट पर भी ताले लगे हैं।
चेतक समाधिः परिसर में पुरुष-महिला और दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए टॉयलेट का निर्माण किया गया, मगर इन पर भी जब से बने तभी से ताले लगे हुए हैं। हल्दीघाटी के स्थलों में सबसे ज्यादा पर्यटक चेतक समाधि पर आते हैं, लेकिन उन्हें यहां न तो टॉयलेट की सुविधा मिलती है और न ही पीने का पानी।
प्रताप स्मारकः ऊंची पहाड़ी पर बने स्मारक पर महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा और यहां से हल्दीघाटी की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है। इन्हें देखने आने वाले लाखों पर्यटक टॉयलेट और पानी जैसी जरूरी सुविधाओं के लिए भी परेशान होते हैं। इस तरह करोड़ों रुपए खर्च कर देने के बावजूद ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं का पूर्ण अभाव है।

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