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राजस्थान का यह है अनोखा जिला मुख्यालय, जहां उपचार के लिए कई जगह लगाने पड़ते हैं ‘चक्कर’

जिले में उपचार की ऐसी छितराई हुई व्यवस्था होने के कारण आमजन को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पाता है, जबकि अन्य जिलों में यह सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध है।इसके बावजूद प्रशासनिक स्तर पर एवं राजनीतिक स्तर पर इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसका खामियाजा आमजन को उठाना पड़ता है।

राजसमंदJul 01, 2024 / 05:59 pm

जमील खान

हिमांशु धवल
Rajsamand News : राजसमंद. जिला मुख्यालय पर संचालित राजकीय आयुर्वेद जिला चिकित्सालय नाम का चिकित्सालय बनकर रह गया है। यहां पर एक ही छत के नीचे आमजन के सभी रोगों का उपचार नहीं होता है। रोगियों को पंचकर्म के लिए आर.के. चिकित्सालय के निकट संचालित आयुर्वेद औषधालय में अथवा नाथद्वारा जाना पड़ता है। क्षारसूत्र के उपचार के लिए गणेश नगर स्थित टेकरी, जरावस्था निवारण के लिए देवगढ़ और आंचल प्रसूता के लिए आमेट जाना पड़ता है।
जिले में उपचार की ऐसी छितराई हुई व्यवस्था होने के कारण आमजन को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पाता है, जबकि अन्य जिलों में यह सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध है।इसके बावजूद प्रशासनिक स्तर पर एवं राजनीतिक स्तर पर इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसका खामियाजा आमजन को उठाना पड़ता है। राजस्थान पत्रिका की टीम ने जिले में विभिन्न स्थानों पर संचालित इकाईयों के जानें हालात।
एक लाख का बजट, आरोग्य समिति सहारा
आर.के. राजकीय चिकित्सालय के निकट राजकीय आयुर्वेद औषधालय कांकरोली में पंचकर्म पद्धति से उपचार किया जाता है। तीन में एक चिकित्सक का पद रिक्त है। यहां पर दो नर्स, एक चतुर्थश्रेणी के अलावा दो पंचकर्म हेल्पर कार्यरत है। प्रतिदिन 15-16 का आउटडोर है। दवाईयों के लिए पूरे साल में एक लाख रुपए का बजट आता है, इसके खत्म होने पर आरोग्य सामिति का सहारा लेना पड़ता है। इसी प्रकार राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय नाथद्वारा में पंचकर्म पद्धति से उपचार होता है। प्रतिदिन 25-30 रोगी उपचार के लिए पहुंचते हैं। 17 में 12 पद रिक्त है। कार्मिकों की कमी के कारण सिर्फ डे-केयर सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
होना यह चाहिए
-सभी यूनिट एक ही छत के नीचे संचालित होनी चाहिए -इससे स्टॉफ की भी अलग से आवश्यकता नहीं होगी

-सभी का बजट काम आ सकता है, विशेषज्ञ भी मिलेंगे
-जिला चिकित्सालय ऐसी जगह जो सभी की पहुंच में हो

अलग से स्टॉफ नहीं, 5 से 10 रोगी आते प्रतिदिन
देवगढ़ के मारू दरवाज़े के अंदर स्थित जरावस्था निवारण केन्द्र राजकीय आयुर्वेद औषधालय परिसर में ही 2016 से संचालित है। इसके लिए अलग से स्टाफ नहीं है, औषधालय का स्टॉफ ही इसे संचालित करता है। प्रतिदिन 5- 10 रोगी आते हैं। पहले दो लाख का बजट दिया जाता था, जिसे घटाकर अब एक लाख कर दिया है। बजट की कमी बनी रहती है। यहां पर पांच में चार पद भरे हैं। प्रत्येक बुधवार को बच्चों को नि:शुल्क स्वर्ण प्राशन ड्राप पिलाई जाती है।
सुविधा पूरी, स्टॉफ और बजट का टोटा
राजसमंद गणेश नगर स्थित राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में क्षार सूत्र शल्य चिकित्साल ईकाई 2019 से संचालित है। प्रतिदिन 5-6 रोगी ही आते हैं। रोगियों को भर्ती करने सहित उपचार की सभी सुविधाएं है, लेकिन स्टाफ का टोटा है। सिर्फ फिस्टूला आदि का ऑपरेशन होते हैं। बजट भी नहीं होने के कारण भी परेशानी होती है। ऑपरेशन आदि नहीं होने के कारण भामाशाह का भी सहयोग नहीं मिल पाता है। तीन चिकित्सक में से सिर्फ दो पद भरे हैं, नर्स-कम्पाउडर के सभी चार पद खाली है।
5 में से 3 पद रिक्त, 20 का आउटडोर
आमेट में आंचल प्रसूता केंद्र आयुर्वेदिक औषधालय में संचालित है। इसकी जिम्मेदारी सिर्फ एक महिला चिकित्सक एवं एक चतुर्थश्रेणी कर्मचारी पर है। एक चिकित्सक एवं दो नर्स-कम्पाउडर के पद रिक्त है। प्रतिदिन 15-20 का आउटडोर रहता है। गर्भवती महिलाओं को प्रारंभ से लेकर 9 माह तक सभी प्रकार की आयुर्वेदिक, शक्ति वद्र्धक दवाईयां तथा हर 12 दिन में एक बार पोषाहार दिया जाता है। डिलीवरी के बाद भी एक से लेकर 5 वर्ष तक बच्चों को स्वर्णप्राशन, पुष्भानक्षत्र औषधी के रूप में पिलाई जाती है।
विभाग ने मांगा था प्रस्ताव, नर्सिंग स्टाफ जल्द मिलने की उम्मीद
‘जिले में तत्तकालीन अधिकारियों के भेजे प्रस्ताव के अनुसार ही इकाईयां अलग-अलग खुली है। अन्य जिलों की तरह यहां भी सभी इकाई एक ही छत के नीचे संचालित होनी चाहिए। विभाग की ओर से 2022 में इन्हें एक ही स्थान पर करने के लिए प्रस्ताव मांगा था, उसे बनाकर भेज दिया था। सरकार की ओर से नर्स-कम्पाउडर की भर्ती प्रक्रिया जारी है। जल्द ही रिक्त भरने की उम्मीद है।’ – डॉ. मुख्तयारसिंह,उप निदेशक आयुर्वेद विभाग, राजसमंद

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