आराध्य प्रभु श्रीनाथजी के प्रात: मंगला की झांकी के दर्शन खुले। इसके बाद इस बार तिलकायत राकेश महाराज व उनके पुत्र विशाल बावा के मुंबई से नहीं पधारने पर ठाकुरजी को पंचामृत स्नान कराने का सौभाग्य श्रीनाथजी के बड़े मुखिया इन्द्रवदन गिरनारा को मिला। उन्होंने श्रीजी बावा के श्रीभाल पर कुमकुम का तिलक किया व अक्षत चढ़ाए। तत्पश्चात् श्रीनाथजी को पंचामृत स्नान कराने का शंखनाद के साथ दूध की सेवा से प्रारंभ किया। उसके बाद मुखिया गिरनारा व द्वितीय मुखिया प्रदीप सांचीहर ने घी, दही, मिश्री का बुरा एवं शहद के साथ ठाकुरजी को स्नान द्वारा कराया गया। इस दौरान मंंदिर के मणिकोठे में कीर्तनकार आदि ही थे तो डोल तिबारी में मंदिर मंडल के मुख्य निष्पादनअधिकारी जितेन्द्र कुमार ओझा व कीर्तनियां गली का जमादार मंगल गौरवा ही मौजूद रहे।
पंचामृत स्नान के बाद प्रभु को चन्दन आंवला एवं फुलेल सुगन्धित तेल से अभ्यंग स्नान भी कराया गया। इसी प्रकार निधि स्वरूप लाड़ले लालन को भी मंगला की झांकी एवं आरती के पश्चात् मुखिया के द्वारा पंचामृत स्नान कराया गया। उधर द्वितीय पीठ विट्ठलनाथजी मंदिर में पीठाधिश्वर कल्याणराय महाराज के सान्निध्य में युगल स्वरूप को स्नान कराया गया।
जन्म पत्रिका का वाचन – आराध्य प्रभु को पंचामृत स्नान के बाद शृंगार की झांकी के समय मंदिर के पंडया डॉ परेश नागर के द्वारा श्रीनाथजी में जन्म पत्रिका का वाचन किया, जिसमें ५१८६ वर्ष पूर्ण होकर ५१८७ में प्रवेश हुआ बताया गया। जबकि लाड़ले लालन के संमुख वर्ष का पंचाग पढ़ा गया।
कीर्तनकारों ने किया गान : जन्माष्टमी के अवसर पर मुखिया कीर्तनकार तौलाराम कुमावत के नेतृत्व में सहयोगी कीर्तनकारों ने सभी दर्शनों में विशेष कीर्तन का गान किया। ऐरी ए आज नंदराय के आनंद भयो स नाचत गोपी करत कुलाहल मंगल चार ठयो, राती पीरी चोली पहेरे नौतन झुमक सारी, चोवा चंदन अंग लगावे सेंदुर मांग संवारी, माखन दूध दह्यो भरिभाजन सकल ग्वाल ले आए, बाजत बेनु पखावज महुवरि गावति गीत सुहाये का कीर्तन गान किया गया। जबकि रात्रि के समय जागरण के दर्शन में चक्र सुदर्शन धर्यो कमल कर भक्तनकी रक्षा के कारण, शंख धर्यो रिपु उदर विदारन गदाधरी दुष्टन संहारन, चारौ भुजा चारौ आयुध धरे नारायण भुव भार उतारन, दीनानाथ दयाल जगत गुरू आरति हरन चिंतामनि, परमानंद दासको ठाकुर यह औसर छांडो जिन किनी का भी गुणगान किया गया।
सूनी डोल तिबारी सूने रहे मंदिर के गलियारे – प्रभु श्रीनाथजी मंदिर में दीपावली के बाद का सबसे बड़ा त्यौहार पूरे मंदिर में रौनक के साथ मनाया जाता है, परंतु अब तक के इतिहास में ऐसा पहला दुखदायी संयोग रहा कि ठाकुरजी के संमुख हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की के जयकारे नहीं लगे और डोल तिबारी में जो सन्नाटा रहा वो सभी के मन को कचौट रहा था। उधर शहर के साथ साथ देश के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले श्रद्धालुओं के मन में भी काफी अफसोस रहा कि आराध्य प्रभु के आज के इस अलौकिक स्नान के दर्शन का लाभ कोई नहीं ले पाया, जबकि मंदिर के गलियारे में भी ऐसा सन्नाटा था मानो यहां पर कोई उत्सव आदि नहीं है। जिसका असर बाजार में भी देखने को मिला। मंदिर मार्ग प्रीतम पोल नया बाजार से लेकर चौपाटी तक भी यही हालात बने रहे।
21 तोपों की सलामी – नाथद्वारा में अद्र्ध रात्रि को ठाकुरजी के जन्मोत्सव पर शहर के रिसाला चौक में मंदिर की परंपरानुसार दो पौराणिक तोपों के द्वारा २१ तोपों की सलामी दी गई। जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर मंडल की गोविंद पलटन के जवान सिर पर केसरिया साफा पहने शस्त्रों के साथ रिसाला चौक से मंदिर मंडल के श्रीनाथ बैंड के साथ गोवर्धन पूजा चौक पहुंचे, जहां पर सलामी दी गई उसके बाद बैंड के द्वारा गोवर्धन पूजा चौक में बधाई के भजनों का गुणगान किया गया।
नंदमहोत्सव आज – आराध्य प्रभु श्रीनाथजी मंदिर में नंदमहोत्सव का त्यौहार गुरुवार को अपार श्रद्धा से मनाया जाएगा। सुबह के समय श्रीनाथजी मंदिर में नंद महोत्सव की धूम प्रारंभ होगी, जिसमें श्रीजी बावा के संमुख मणि कोठा में श्रीजी के बड़े मुखिया नंदबाबा एवं लालन के मुखिया यशोदाजी बनकर साथ में सखियां आदि एक साथ केसर हल्दी युक्त दही छाछ के छिड़काव के साथ नृत्य करेंगेे। इस दौरान मंदिर में रहने वाले सेवा कर्मी ही इन दर्शनों का लाभ ले पाएगा एवं श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा।
श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के द्वारकाधीश मंदिर में बुधवार को श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर मंगला दर्शन के बाद सवेरे प्रभु द्वारिकाधीश को डॉ वागीश गोस्वामी, वेदांत गोस्वामी व सिद्धांत गोस्वामी ने दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और जल से बने पंचामृत स्नान करवाया। उसके बाद शृंगार में द्वारकाधीश को मस्तक पर बड़े साज की केसरी कुले, बंदे बंद का केसरी डोरिया का चाकदार वागा, लाल अथलस की सूतन व पटका, दो रंगी ठाड़े वस्त्र और हीरा पन्ना माणक के आभरन धराए गए। बाद में पंडित बिंदुलाल शर्मा द्वारा प्रभु के सम्मुख पंचांग का वाचन किया गया।
द्वारकेश बैंड ने दी सलामी – राजभोग दर्शन के पूर्व द्वारकेश गार्ड द्वारकेश बैंड की मधुर धुन पर गोवर्धन चौक में प्रभु को सलामी देने के लिए उपस्थित रहे। दिन भर के नित्य के दर्शनों के बाद रात्रि 9.30 बजे द्वारकाधीश के जागरण सेवा का क्रम शुरू हुआ जो 11.30 बजे तक चला। उसके बाद मंदिर के कपाट बंद हुए।
प्रभु के जन्म के साथ ही गूंजा परिसर – कपाट बंद होने के कुछ देर बाद जैसे ही प्रभु के जन्म की घोषणा हुई तो पूरा मंदिर परिसर शंख व घंटा ध्वनि से गुंजायमान होने लगा। द्वारकेश सुरक्षा टोली द्वारा प्रभु को बंदूकों की सलामी दी गई। प्रभु के छोटे स्वरूप शालिग्राम का पंचामृत स्नान हुआ।
आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे द्वार – जन्माष्टमी अवसर पर इस बार कोरोना महामारी के कारण वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र व राज्य सरकार से जारी दिशा निर्देशों के अनुसार आम श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध है। हालांकि मंदिर में प्रभु की सेवा में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ है। प्रभु की सेवा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी उसी ठाठ बाट के साथ आनंद के साथ सम्पन्न हुई है। गुरुवार को प्रभु द्वारकाधीश में नंद महोत्सव मनाया जाएगा।